आरयू वेब टीम। एक अच्छा शिक्षक व्यक्तित्व निर्माता है, समाज निर्माता है और राष्ट्र निर्माता भी है। दंड पर आधारित शिक्षा के मुकाबले प्रेम पर आधारित शिक्षा अधिक कारगर सिद्ध होती है। राधाकृष्णन एक दार्शनिक और विद्वान के रूप में विश्व विख्यात थे। उन्होंने अनेक उच्च पदों को सुशोभित किया, लेकिन वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में ही याद किया जाए। डॉक्टर राधाकृष्णन ने एक शिक्षक के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।’
उक्त बातें रविवार को शिक्षा दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही। इस दौरान उन्होंने देशभर के 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने कहा, ‘अपने विशिष्ट योगदान के लिए सम्मान पाने वाले सभी 44 शिक्षकों को मैं बधाई देता हूं। भावी पीढ़ियों का निर्माण हमारे योग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘ राष्ट्रपति ने अपने शिक्षकों को याद करते हुए कहा, ‘मुझे आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है. मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे राष्ट्रपति बनने के उपरांत मुझे अपने स्कूल में जाने एवं अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ।’
वहीं रामनाथ कोविंद ने कहा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों को दिया करते थे। वे बताते थे कि शिक्षकों के पढ़ाने के रोचक तरीके के कारण ही बचपन से उनके मन में एयरोनॉटिकल विज्ञान की रुचि जागी। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा, ‘आप सभी विद्यार्थियों में प्रेरणा भर सकते हैं, उन्हें सक्षम बना सकते हैं ताकि वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकें। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह अपने छात्रों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करें। संवेदनशील शिक्षक अपने आचरण से शिक्षकों का भविष्य संवार सकते हैं।’
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राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा कि पिछले वर्ष लागू की गई हमारी शिक्षा नीति में भारत को ग्लोबल नालेज सुपर पावर के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करनी है जो ज्ञान पर आधारित है, न्याय पूर्ण समाज के निर्माण में सहायक हो। हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों और देश के प्रति प्रेम की भावना मजबूत बने तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य में अपनी भूमिका को लेकर वह सचेत रहें।
साथ ही शिक्षकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है। उनकी प्रतिभा अलग होती है। मनोविज्ञान अलग होता है। सामाजिक पृष्ठभूमि व परिवेश भी अलग होता है, इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर बल देना चाहिए।