आरयू इंटरनेशनल डेस्क। तालिबान ने अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी पर कब्जे का दावा किया है। तालिबान ने बयान जारी कर पंजशीर घाटी पर नियंत्रण की बात कही है। साथ ही पंजशीर गवर्नर के कार्यालय पर तालिबानी झंडा फहराया।
तालिबान ने कहा है, ‘अल्लाह की मदद से और हमारे राष्ट्र के व्यापक समर्थन के साथ, देश की पूर्ण सुरक्षा के लिए हमारे अंतिम प्रयासों का परिणाम हुआ और पंजशीर पूरी तरह से जीत लिया गया है। अब पंजशीर घाटी इस्लामी अमीरात के नियंत्रण में आ गया है।’ तालिबान ने कुछ तस्वीरों को भी जारी किया है, जिसमें लड़ाकों को पंजशीर गवर्नर ऑफिस के बाहर हथियारों के साथ खड़ा हुए देखा जा सकता है।
तालिबान का कब्जा ऐसे समय पर हुआ है, जब रेजिस्टेंस फोर्स ने कहा है कि वह चरमपंथी संगठन के साथ संघर्षविराम करना चाहता है। फोर्स के नेताओं ने बयान जारी कर ये बात कही है।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि साप्ताहंत में दोनों पक्षों को पंजशीर घाटी में भारी नुकसान हुआ है। सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, तालिबान ने पंजशीर प्रांत पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। ये वो आखिरी इलाका था, जिस पर रेजिस्टेंस फोर्स का नियंत्रण था, हालांकि अभी तक रेजिस्टेंस फोर्स के नेता अहमद मसूद की तरफ से तालिबान के दावे को लेकर कोई बात नहीं कही गई है।
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नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने रविवार देर रात कहा कि ये तालिबान को पंजशीर में अपनी सैन्य कार्रवाई को रोकने और अपने लड़ाकों को पीछे हटाने का प्रस्ताव देता है। इसके बदले में एनआरएफ अपनी फोर्स को सैन्य कार्रवाई से बचने को कहेगी। तालिबान ने रविवार देर रात दावा किया था कि इसने लगभग पूरी घाटी पर कब्जा कर लिया है, लेकिन प्रो एनआरएफ सोशल मीडिया अकाउंट्स ने इस दावे को खारिज कर दिया। इन अकाउंट्स द्वारा किए गए पोस्ट में कहा गया कि लड़ाके पहाड़ों की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, रविवार देर रात नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट फहीम दश्ती और जनरल अब्दुल वुदोद जारा की जंग में मौत हो गई।
बता दें कि पंजशीर घाटी की आबादी 1.5 से 2 लाख है, ये पहाड़ों से घिरा हुआ इलाका है। काबुल से 90 मील उत्तर में ये हिंदुकुश की पहाड़ियों में स्थित है। जब अफगानिस्तान पर सोवियत संघ ने हमला किया था, तब भी पंजशीर घाटी के लड़ाकों ने उन्हें टक्कर दी थी। इसके अलावा, तालिबान के पिछले कब्जे के दौरान भी यहां के लोगों ने चरमपंथी संगठन के खिलाफ हथियार उठाए थे। तालिबान ने जहां आसानी से देश के अन्य हिस्सों पर कब्जा कर लिया, वहीं पंजशीर पर कब्जे के लिए तालिबान को काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।