आरयू वेब टीम। लखीमपुर खीरी कांड में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है यूपी सरकार इस केस में अपने पैर पीछे खींच रही है। अदालत ने कहा है कि उन्हें ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इस मामले में अपने पैर पीछे खींच रही है। भारत के मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि हमने कल रात तक इंतजार किया, लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं हुआ। हालांकि, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट दाखिल कर दिया गया है।
लखीमपुर हिंसा मामले में जांच से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने में हुई देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने आज कहा है कि इस मामले में राज्य सरकार अपने पैर पीछे खींचते हुए दिख रही है। इस मामले की जांच में हुई प्रगति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘हमें लगता है कि आप अपने पैर खींच रहे हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप गवाहों की रक्षा करेंगे।’ बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई की अगुवाई वाली सर्वोच्च अदालत की बेंच ने कहा, ‘हमने पिछली रात तक इंतजार किया, लेकिन कुछ भी दाखिल नहीं हुआ।’ हालांकि, वकील हरिश साल्वे ने कोर्ट को सूचना दी कि रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एन वी रमना ने सवाल किया है कि, ‘अगर आप सुनवाई से कुछ मिनट पहले दाखिल करेंगे तो हम रिपोर्ट को कैसे पढ़ सकते हैं? हम उम्मीद करते हैं कि यह सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले दाखिल की जाएगी। हमने कभी नहीं कहा कि इसे एक सीलबंद कवर में होना चाहिए। कल हमने एक बजे तक इंतजार किया। यह क्या है…’ अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अगले हफ्ते तक एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘आप कहते हैं कि आपने 44 गवाहों की जांच की है। चार गवाहों का बयान 164 के तहत के हुआ है। बाकी ने अपना बयान क्यों नहीं दर्ज करवाया है? ‘ सीजेआई ने यह भी पूछा कि इस मामले में अबतक कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर साल्वे ने कहा, ‘दस की गिरफ्तारी हुई है। दो तरह का अपराध हुआ, एक अपराध में लोगों पर एक कार चढ़ा दी गई। दूसरा तब हुआ जब कार सवार दो लोगों की लिंचिंग हो गई थी। इसकी जांच करना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि वहां भारी भीड़ थी। ‘ इसपर सीजेआई जस्टिस रमना ने इस मामले में अगले बुधवार को फिर सुनवाई को कहा। उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई। संवेदनशील मामला है। देखते हैं कि क्या यह उन्हें दिया जा सकता है।’ इस मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।