लखीमपुर कांड: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई योगी सरकार को फटकार, पूछा आरोपित को पेश करने के लिए अनुरोध की क्‍या जरूरत, आम आदमी होता तो…

योगी सरकार को फटकार

आरयू वेब टीम। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। योगी सरकार ने आज मामले की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में फाइल कर दी है। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया है कि मुख्य आरोपित को पेश होने का नोटिस दिया गया है। उसने समय मांगा है। हमने कल सुबह 11 बजे तक का समय दिया है। अगर तब तक पेश नहीं हुआ तो कानून अपना काम करेगा।

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए हरीश साल्वे से पूछा कि आरोपित को पेश होने के लिए अनुरोध करने की क्या जरूरत है? जिसके बाद साल्वे ने जवाब दिया कि अभी गोली के सबूत नहीं मिले हैं। तथ्य देखे जा रहे हैं। अगर सबूत साफ हों तो सीधे हत्या का केस बनेगा। इसके बाद चीफ जस्टिस रमना ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह बेंच का साझा मत है। हम जिम्मेदार सरकार चाहते हैं। अगर आरोपित कोई आम आदमी हो तो क्या यही रवैया रहेगा? इसके बाद यूपी सरकार के वकील साल्वे ने कहा कि गोली से मौत की पुष्टि नहीं हुई है।

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नहीं थी पोस्टमार्टम की प्रतीक्षा करने की जरूरत

सीजेआई रमना ने कहा कि पोस्टमार्टम की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं थी। इसपर साल्वे ने कहा कि मैं समझ रहा हूं कि जजों के मन में क्या है। मैं मानता हूं कि जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए थी। इस पर सीजेआई ने कहा कि यह हमारे मन की बात नहीं है। हम लोगों को क्या संदेश दे रहे हैं? साल्वे ने कहा कि कल तक सारी कमी दूर कर ली जाएगी।

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मामले में की है सीबीआइ जांच की सिफारिश

चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपकी एसआईटी में कौन हैं। सब स्थानीय अधिकारी हैं, यही दिक्कत है। क्या राज्य सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश की है? इस पर साल्वे ने जवाब दिया कि नहीं, लेकिन आप दशहरा छुट्टी तक प्रतिक्षा कीजिए। उसके बाद जरूरी लगे तो सीबीआइ को जांच सौंप दीजिए।

तब तक आपको हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना

सीजेआई ने आगे कहा कि हम आपका आदर करते हैं, इसलिए टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। सीबीआइ भी कोई हल नहीं है। आप जानते हैं क्यों? हमें कोई और तरीका देखना होगा। छुट्टी के बाद मामला देखेंगे, तब तक आपको हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना है। आप तेज कार्रवाई करें, जो अधिकारी काम नहीं कर रहे उन्हें हटाइए। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि हम राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। मामला छुट्टी के तुरंत बाद सुनवाई के लिए लगाया जाए। 20 अक्टूबर को यह मामले लिस्ट में सबसे पहले लिया जाए।

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