लखीमपुर कांड: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गड़बड़ी का आरोप लगा किसानों ने शव का अंतिम संस्कार करने से किया इंकार

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गड़बड़ी

आरयू ब्यूरो,लखनऊ। लखीमपुर खीरी जिले में हुए बवाल में मारे गए चार किसानों में से एक किसान के परिवारवालों ने दाह संस्कार करने से इनकार कर दिया है। इस दौरान परिवारवाले ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गड़बड़ी का आरोप लगा, सही रिपोर्ट देखने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात पर अड़े हुए हैं। दरअसल गुरविंदर सिंह का सुबह दस बजे ही अंतिम संस्कार होना था, लेकिन जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का पता चला तो किसानों में गुस्सा भड़क उठा।

किसानों का आरोप है कि नानपारा बहराइच के किसान गुरविंदर सिंह की मौत गोली लगने से हुई थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगने का जिक्र भी नहीं किया गया है। किसानों का कहना है कि कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को बचाने के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लीपापोती की गई है। जिसके बाद किसानों ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया, कहा कि जब तक सही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आती तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। मामले की सूचना मिलते ही लखनऊ रेंज की आइजी लक्ष्मी सिंह धौरहरा के किसान नक्षत्र सिंह के गांव पहुंचीं और उनके परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए राजी करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

शव का अंतिम संस्कार रोके जाने की सूचना मिलते ही डीएम डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया, आईपीएस अधिकारी, अजय शर्मा, कई सीओ, कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गए। उधर किसान नेता सीएम सिंह, पंजाब के किसान नेता रूला सिंह मानसा, कांग्रेस नेता सैफ अली नकवी, पूर्व एमएलसी आरएस कुशवाहा, राम नरेश यादव, अनिता यादव और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अजित सिंह भी मौके पर पहुंचे।

वहीं आज इस शाम इस बारे में जानकारी देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया को बताया कि गुरवेंद्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से संयुक्त किसान मोर्चा सहमत नहीं है। जिसके बाद दोबारा पोस्टमॉर्टम की मांग पर सरकार ने बोर्ड गठित कर डॉक्टरों को हेलीकॉप्टर से बहराइच भेजा है। साथ ही तीन अन्‍य शहीद किसानों का परिवार की सहमति पर अंतिम संस्‍कार कर दिया गया है।

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बता दें कि इससे पहले कल मृतकों के परिवार वालों को 45-45 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक-एक सदस्य को योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी का आश्वासन सरकार से मिला। साथ ही घायलों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा व पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर जज से कराने की सहमति के बाद परिवार वाले अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए थे। वहीं, बवाल भड़कने के बाद भड़के लोगों ने चार शवों को बीते रविवार तिकुनिया गांव के बाहर सड़क पर रख दिया था। वहीं, नाराज ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन को दो टूक जवाब दे दिया था कि जब तक उनकी मांग नहीं पूरी होती, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

इस दौरान बीते सोमवार दिनभर गाड़ियों में भरकर भीड़ का रेला गांव में आता रहा और लोग चारों शवों के अंतिम दर्शन करते रहे। वहीं, 24 घंटे से ज्यादा समय बीतने के बाद तक शव वहां पर रखे रहे। आखिरी में जब सुलह का रास्ता बना तो भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता राकेश टिकैत के समझाने-बुझाने के बाद स्थानीय गांव वालों ने शव पुलिस को सौंपा। इसके बाद उनका पोस्टमार्टम हो सका।

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