आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में श्रम कानून में हुए बदलाव को लेकर सियासत लगातार गरमाती जा रही है। कांग्रेस, सपा और बसपा के बाद अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। शिवपाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले यूपी श्रम अधिनियमों में बदलाव अमानवीय व अलोकतांत्रिक है। क्योंकि यह बदलाव तीन वर्ष तक प्रभावी रहेंगे, ऐसे में लंबी अवधि तक मजदूरों का शोषण संभव है।
शिवपाल यादव ने आगे कहा कि आज मजदूर अपनी आजीविका को लेकर अनिश्चितता,भय और भूख के मंझधार में फंसा है। शिवपाल ने योगी सरकार से मांग करते हुए ट्वीट कर कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से श्रम कानूनों में किए गए अलोकतांत्रिक व अमानवीय बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले ‘श्रम-कानून’ के अधिकांश प्रावधानों को तीन साल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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प्रसपा प्रमुख ने आगे कहा कि देश के विभिन्न शहरों में रह रहे प्रदेश के अधिकांश मजदूरों व कामगारों को आश्वासन के बावजूद आधा या पूरा पारिश्रमिक नहीं प्राप्त हुआ है। ऐसे में लाचार श्रम कानूनों को और सख्त करने की जरूरत थी। सरकार ने उल्टे इसे और लचर कर दिया। राज्य में नए निवेश और पूर्व में स्थापित औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों के लिए श्रम नियमों में 1000 दिनों के लिए अस्थायी छूट दे दी गई है। शिवपाल ने कहा कि आपदा की सबसे अधिक भीषण मार भी मजदूरों को ही साहनी पड़ी है, क्या आपदा के बाद भी मजदूरों को ही इसकी कीमत चुकानी होगी।
आपको बता दें कि कोरोना काल में योगी सरकार ने मौजूदा और नई औद्योगिक इकाइयों की मदद करने के लिए श्रम कानूनों को लेकर अध्यादेश पारित किया है। राज्य मंत्रिमंडल ने अगले तीन साल के लिए तीस से अधिक श्रम कानूनों को निष्प्रभावी कर दिया है।