अखिलेश का योगी सरकार पर हमला, खबर लिखने पर न्‍यूज वेबसाइट के संपादक पर FIR करना है मीडिया की आजादी का हनन व सत्‍ता का दुरूपयोग

अखिलेश यादव
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। एक न्‍यूज वेबसाइट के पत्रकार पर मुकदमा लिखे जाने के मामले को लेकर शनिवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने आज अपने एक बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का पत्रकारिता के प्रति अपना रवैया पक्षपातपूर्ण नहीं रखना चाहिए। मुख्यमंत्री से संबंधित एक सच्ची खबर लिखने पर न्यूज वेबसाईट के संपादक के खिलाफ एफआइआर किया जाना मीडिया की आजादी का हनन और सत्‍ता का स्पष्ट दुरूपयोग है। इसके साथ ही यह लोकतंत्र के खिलाफ गहरी साजिश भी है।

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वहीं सपा पर लग रहें आरोपों के जवाब में आज अखिलेश ने अपने बयान में कहा कि सपा कोरोना संक्रमण के प्रतिरोध में लागू लॉकडाउन का शत-प्रतिशत पालन कर रही है। सरकारी और चिकित्सीय एडवायजरी का पालन करते हुए पीड़ितों और जरूरतमंदो की सहायता के लिए हमारे नेता कार्यकर्ता जुटे हुए है। सपा संकट के इन हालात को समझते हुए भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है कि जनता को किन स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। हमारे सुझाव व शिकायतें टीम इलेवन के काम को अधिक सुसंगत बनाने के लिए होती हैं।

…कमजोर वर्ग के लिए बोलना क्या गुनाह है?

साथ ही सपा अध्‍यक्ष ने कहा कि समाजवादी पार्टी सदैव सकारात्मक और रचनात्मक आलोचना की पक्षधर रही है। सरकार से क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं, नौजवानों और प्रभावित वर्ग के लिए क्या राहत कार्य किए जा रहे हैं? लॉकडाउन की लंबी अवधि से घरों में कैद बच्चों और बुजुर्जों की क्या हालत है? पेट में दाना नहीं, घर में खाना नहीं। इन हालातों से गुजर रहे कमजोर वर्ग के लिए बोलना क्या गुनाह है?

सूरत के श्रमिकों को तत्‍काल आर्थिक व…

वहीं यूपी के पूर्व सीएम ने बीती रात गुजरात के सूरत में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए मीडिया से कहा है कि सूरत में लॉकडाउन में फंसे सैकड़ों अन्य स्थानों के भूखे मजदूर श्रमिकों द्वारा मालिकों से अपना वेतन व प्रशासन से घर जाने की व्यवस्था की मांग पर गिरफ्तार किया जाना संवेदनशील विषय है। सरकार तत्काल इन लोगों को आर्थिक व आवासीय सहायता देकर उनमें विश्‍वास जगाए और शांति स्थापित कराए।

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