आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भ्रष्टाचार को लेकर योगी सरकार की सख्ती भविष्य में और ज्यादा देखने को मिल सकती है। अधिकारियों ने अब सीधे तौर पर बैठक में भी अफसर व इंजीनियरों को सुधरने के लिए चेतावनी जारी करनी शुरू कर दी है।
शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नजारा सचिवालय में आयोजित यूपी राजकीय निर्माण निगम की बैठक में देखने को मिला। निर्माण निगम के कामों की उच्च स्तरीय बैठक कर रहे प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नितिन रमेश गोकर्ण ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार से दूर रहने और काम को समय से पूरा कराने के लिए चेतावनी दी।
उन्होंने साफ तौर पर आज निर्माण निगम के अफसरों को निर्देश देते हुए कहा कि निर्माणाधीन परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा के अंदर ही पूरा कराएं। काम में लापरवाही या भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी दशा में माफ नहीं किया जायेगा।
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प्रमुख सचिव ने अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि कॉनकरेंट ऑडिट का काम धीरा चला रहा, इसकी गति बढ़ाकर जल्द से जल्द पूरा किया जाए। ऑडिट में कहीं गड़बड़ी मिली तो संबंधितत अफसर-इंजीनियर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उसे जेल भेजा जाएगा।
वहीं समीक्षा के दौरान निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक यूके गहलौत द्वारा बताया गया कि साल 2019-20 में 1713 परियोजनाओं पर सक्रिय कार्य हैं, जिसमें 482 परियोजनाएं यूपी के बाहर, जबकि 1231 परियोजनाएं यूपी के अंदर हैं। उन्होंने बताया कि 1546 कार्य प्रगति पर हैं और 167 परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं। 742 परियोजनाओं पर 75 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है।
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जिस पर प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी ने निर्देश दिये कि 75 प्रतिशत हो चुके काम हर हाल में अगामी 31 मार्च तक पूरे कराएं। साथ ही जिन कार्यों में पुनरीक्षित आगणन आने हैं, उनके आगणन तत्काल दिए जाएं। साथ ही जिन 159 परियोजनाओं के पुनरीक्षित आगणन आने हैं, उनके बारे में विभागवार यह भी अवगत कराया जाय कि जितना पैसा रिलीज हुआ था, उसके सापेक्ष काम समय से हुए या नहीं और जिनमें पैसे के अभाव में देर हुई, कितने दिनों से विलंब हुआ। इसकी रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप पर एक सप्ताह में दी जाय।
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इसके अलावा कर्मचारियों व अफसरों के ड्यूटी से गायब रहने की शिकायत पर नितिन रमेश ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी साइटों पर जल्द ही बायोमेट्रिक मशीनें लग जानी चाहिए। एक दिसंबर तक मशीन नहीं लगी तो किसी भी हाल में वेतन नहीं जारी किया जाए।
उन्होने यह भी निर्देश आज दिए कि जो परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं, उन्हे संबंधित विभागों को 15 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से हैण्डओवर कर दिया जाय। इसके अलावा हर परियोजना के कामों की गुणवत्ता रिपोर्ट प्रत्येक महीने की सात तारीख तक उपलब्ध करा दी जाए।
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प्रमुख सचिव ने कहा कि जिन परियोजना की गुणवत्ता रिपोर्ट नहीं आयी, उनके प्रोजेक्ट मैनेजरों को चेतावनी जारी की जाय। जहां से भी क्वालिटी टेस्ट रिपोर्ट समय से नहीं आयेगी वहां के अधिकारियों के पर कड़ी होगी। साथ ही अधिकारियों की सहूलियत की बात करते हुए नितिन रमेश ने कहा कि किसी भी परियोजना को पूरा करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो उसे तुरंत बताएं।
वहीं यूपीआरएनएन के प्रबंध निदेशक ने बताया कि इस समय यूपी के 40 विभागों के काम निगम द्वारा कराये जा रहे हैं। सबसे अधिक धनराशि के काम चिकित्सा शिक्षा विभाग के कराये जा रहे हैं।