आरयू ब्यूरो,
लखनऊ/गोरखपुर। गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की जानलेवा लापरवाही से हफ्ते भर के अंदर हुई 63 मौतों और मीडिया में किरकिरी होने के बाद हरकत में आयी योगी सरकार ने आज सुबह अपने दो मंत्रियों के साथ मुलाकात की। योगी से मुलाकात के बाद दोनो मंत्री गोरखपुर पहुंचे। गोरखरपुर के लिए रवाना होने से पहले स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने मीडिया को बताया कि सीएम ने हालात का जायजा लेने के बाद पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान भी अस्पताल ने छिपाई गड़बड़ी
सीएम आवास के बाहर मीडिया से बात करते हुए सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ये एक गंभीर विषय है। विशेष रूप से सीएम जुलाई में और नौ अगस्त को बीआरडी हॉस्पिटल गए थे। वहां उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी, लेकिन किसी ने ऑक्सीजन की समस्या के विषय में कोई जानकारी न तो मुख्यमंत्री और न ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री को ही दी। हम लोग इन सभी चीजों की जांच करने के बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देगें और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं गोरखपुर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। विपक्षी दलों को मौतों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। यह गंभीर मुद्दा है। एक बेड पर दो मरीज को रखने की बात पर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कहा कि मॉनसून में कई मरीज हैं। इसलिए एक बिस्तर पर दो मरीजों को रखना मजबूरी है। डॉक्टरों की कमी है, लेकिन हम हर घड़ी निगरानी कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंच गए हैं।
ये था मामला
बताते चले कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने पहले ही अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर बकाए का भुगतान नहीं होने पर सप्लाई जारी रखने में असमर्थता जाहिर की थी। इसके बाद भी अस्पताल से जुड़े जिम्मेदार लोग कान में तेल डाले बैठे रहे। दूसरी ओर एक-एक करके पिछले पांच दिनों में मासूमों समेत अन्य मरीजों की तड़पकर जान जाती रही। इस बीच खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अस्पताल का दौरा किया, लेकिन अस्पताल के शातिर प्रशासन ने उन्हें भी इसकी भनक नहीं लगने दी।
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शुक्रवार को मामला मीडिया में पहुंचा तो अस्पताल प्रशासन के साथ ही योगी सरकार ने भी ऑक्सीजन की कमी से मौत होने की बात से इंकार किया। हालांकि देखते ही देखते यह मामला देश भर में छा गया। आरंभ में 30 बच्चों के मौत की बात सामने आई थी, अब बताया जा रहा है कि अब तक कुल 63 लोगों की मौत हो चुकी है। अस्पताल प्रशासन के लापरवाही की बलि चढ़ने वालों में अधिकतर मासूम बच्चे है।
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