जीरो से दस

आरयू वेब टीम। 2019 के लोकसभा चुनाव में जीरो से दस सांसदों के सम्‍मानजनक आंकड़ें को छूने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से लगभग किनारा कर लिया है। राजधानी दिल्ली में आज हुई बसपा की बैठक में मायावती ने हार के कारणों की समीक्षा की।

बैठक में मायावती ने कहा कि बसपा कार्यकर्ता, पदाधिकारी, विधायक और नवनिर्वाचित सांसद आगामी उपचुनाव अकेले लड़ने की तैयारी करें। इसके लिए गठबंधन पर निर्भर ना रहें। कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

यह भी पढ़ें- 25 साल बाद फिर साथ आयी सपा-बसपा, गठबंधन का ऐलान, लगे बुआ भतीजा-जिंदाबाद के नारे

एक रिपोर्ट के मुताबिक आज मायावती ने ये भी कहा कि यादवों के वोट बसपा को नहीं मिले हैं। अगर वोट मिलते तो यादव परिवार के लोग चुनाव नहीं हारते। समाजवादी पार्टी के लोगों ने गठबंधन के खिलाफ काम किया। इस दौरान उन्‍होंने शिवपाल यादव पर भी सपा का वोट भाजपा को ट्रांसफर कराने का आरोप लगाया।

बताते चलें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खोलने वाली पार्टी बीएसपी ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सपा व रालोद के साथ गठबंधन कर यूपी में ताल ठोकी थी। सीटों की संख्‍या के आधार पर बात की जाए तो 2014 में पांच सीटें जीतने वाली सपा इस बार इसमें एक भी सीट की बढ़ोतरी नहीं कर सकी, हालांकि बसपा जरूर अपने दस उम्‍मीदवारों को संसद भेजने में सफल हो गयी।

यह भी पढ़ें- मायावती की बड़ी कार्रवाई, बसपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय को किया पार्टी से बाहर, BJP के प्रति नरमी पड़ी भारी

वहीं लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी तैयारी के बाद सपा, बसपा और रालोद के बीच गठबंधन हुआ था। तीनों दलों ने यूपी में 50 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन लोकसभा चुनावों के परिणाम उम्मीदों के उलट रहा और गठबंधन मात्र 15 सीटों पर सिमट गया।

हालांकि जानकार गठबंधन के इतने निराशजनक परिणाम के लिए अखिलेश और मायावती के कांग्रेस व शिवपाल सिंह यादव की प्रसपा से दूरी बनाने की वजह को बताते हैं, प्रसपा व कांग्रेस भले ही यूपी में कोई खास कमाल नहीं कर सकी, लेकिन इन दोनों ही पार्टियों ने दर्जनों सीटों पर गठबंधन के प्रत्‍याशियों को हरवाने का काम किया।

यह भी पढ़ें- चुनावी परिणाम से पहले सपा-बसपा ने की अगले कदम की तैयारी, मायावती से मिलने पहुंचे अखिलेश