आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान के कुछ ही घंटों बाद बसपा सुप्रीमो मायावती का तीखा जवाब आया है। मायावती ने गुरुवार को अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा है कि सपा का खुद को अंबेडकरवादी दिखाना एक नाटक है, सपा का तो पूरा इतिहास ही अंबेडकर व बहुजन विरोधी रहा है।
सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में आज अखिलेश यादव ने आज एक बार फिर से सपा की कमान संभालने के साथ ही अपने व पार्टी की भविष्य के प्लॉन के बार में सपा नेता व कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जानकारी दी थी। इस दौरान अखिलेश ने समाजवादियों व अंबेडकरवादियों को एक साथ लेकर चलने की भी बात कही थी। अंबेडकर को अधिकतर मानने वाले बसपा का वोट बैंक माने जाते है। अखिलेश के इस बयान के साथ ही राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गयी थी।
वहीं अखिलेश के बयान से नाराज मायावती ने इस पर ऐतराज जताते हुए आज शाम तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लगातार तीन ट्विट कर अखिलेश को न सिर्फ आड़े हाथ लिया, बल्कि अपने वोट बैंक को भी अखिलेश के विरोध में मैसेज देने की कोशिश की है।
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मायावती ने अपने पहले ट्विट में लिखा कि समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चाल, चरित्र, चेहरा को अंबेडकरवादी दिखाने का प्रयास वैसा ही ढोंग, नाटक व छलावा है जैसा कि वोटों के स्वार्थ की खातिर अन्य पार्टियां अक्सर ऐसा करती रहती हैं। इनका दलित व पिछड़ा वर्ग प्रेम मुंह में राम बगल में छुरी को ही चरितार्थ करता है।
अपने दूसरे ट्विट में मायावती ने कहा कि वास्तव में परमपूज्य डा. भीमराव अंबेडकर के संवैधानिक व मानवतावादी आदर्शों को पूरा करके देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों, उपेक्षितों आदि का हित, कल्याण व उत्थान करने वाली कोई भी पार्टी व सरकार नहीं है और सपा का तो पूरा इतिहास ही डा. अंबेडकर व बहुजन विरोधी रहा है।
…क्या यही है सपा का अंबेडकर प्रेम?
सोशल मीडिया के जरिये अखिलेश पर हमला जारी रखते हुए मायावती ने अंत में कहा कि सपा शासनकाल में बाबा साहब डा. अंबेडकर के अनुयाइयों की घोर उपेक्षा हुई व उनपर अन्याय-अत्याचार होते रहे। महापुरुषों की स्मृति में बीएसपी सरकार द्वारा स्थापित नए जिले, विश्वविद्यालय, भव्य पार्क आदि के नाम भी जातिवादी द्वेष के कारण बदल दिए गए। क्या यही है सपा का डा. अंबेडकर प्रेम?