आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कई शहरों में हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने उत्तर प्रदेश में भी किसानों की फसल बर्बाद कर दिया है। किसान जहां परेशान है वहीं यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा है कि भाजपा को किसानों के दुख से कोई मतलब नहीं है। सिर्फ सत्ता पर काबिज होने के लिए षड्यंत्र और साजिशें करती है। बेमौसम बरसात से उत्तर प्रदेश का किसान त्राहि-त्राहि कर रहा पर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार चुनावी हेराफेरी और चुनावी गणित बैठाने में दिल्ली-लखनऊ एक किए हुए हैं।
सपा सुप्रीमो ने कहा कि चिंता की बात है कि इन दिनों हुई बरसात से और कहीं-कहीं ओलावृष्टि से गेहूं, चना, सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, बींस, गोभी, बैगन की फसल भी प्रभावित हुई है। आम में बौर आने शुरू हो गए थे बारिश में ये न केवल गिर गए हैं। उसमें खर्रा रोग और भुनगे भी लगने लगे हैं। आम बागान के किसान तबाही के कगार पर पहुंच गए हैं। सच तो यह है कि भाजपा सरकार में किसान और खेती दोनों उपेक्षित हैं।
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अखिलेश ने आगे कहा कि भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने संकल्प पत्र में किसानों से सम्बन्धित जो वादे किए थे, उसमें एक भी वादा पूरा नहीं किया है। न किसान के कर्ज माफ हुए और न ही किसानों की आय दुगुनी करने की दिशा में कोई कदम उठाया गया। सब जुमला ही रह गया है यहीं नहीं किसानों के उपयोग में आने वाले कृषि उपकरण, बीज, खाद, रसायन और बिजली-डीजल तक महंगे कर दिए गए। भाजपा ने किसानों की आय तो दुगुनी नहीं की पर लागत की बढ़ोत्तरी और ओलावृष्टि की डबल मार झेल रहे किसानों को डबल इंजन वाली भाजपा सरकार को दुगुना मुआवजा तो देना ही चाहिए। किसानों की मुआवजे की डबल मांग पूरी तरह जायज है।
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इतना ही नहीं किसान महंगाई और भ्रष्टाचार की मार झेल रहा है, जबकि भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों का 15 लाख करोड़ रूपये का बैंक कर्ज माफ कर दिया है। बैंको से बड़े-बड़े कर्ज लेकर जो उद्योगपति विदेश भाग गए थे, उनको भारत लाने के बजाय, उन्हीं कर्जदार उद्योगपतियों को फिर से कर्ज देने के निर्णय से भाजपा सरकार का असली चेहरा और चरित्र सामने आ चुका है। हद तो ये है कि भाजपा सरकार ने पूर्व में भी प्राकृतिक आपदा के शिकार किसानों को मुआवजा नहीं दिया, उनकी फसल को क्षति का सर्वे करने के नाम पर मदद की फाइलें ही जमींदोज हो गई। इस संवेदनशून्य भाजपा सरकार से क्या उम्मीद की जाए कि वह बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त खेती का तत्काल सर्वे कर मुआवजा देगी?