अखिलेश का BJP पर निशाना, छुटभैये नेता ही नहीं मंत्री व CM भी कर रहें निम्‍नस्‍तरीय भाषा का इस्‍तेमाल, हाईकोर्ट व चुनाव आयोग करे कार्रवाई

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आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा पर गलत भाषा का इस्‍तेमाल कर समाज में नफरत फैलाने का आरोप लगाया है। अखिलेश ने आज अपने एक बयान में कहा है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों का ‘हिंसक वाचन’ एक भयावह स्थिति है।

सपा अध्‍यक्ष ने आगे कहा कि दुखद स्थिति यह है कि निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल सिर्फ छुटभैये नेता ही नहीं, बल्कि भाजपा के मंत्री व मुख्यमंत्री भी कर रहें हैं। ‘डंके की चोट पर‘, ‘बोली के बदले गोली‘ और ‘गोली मारो….को ‘ के साथ ही अब भाजपाई धुरंधर आजादी की लड़ाई के इतिहास को भी कलुषित करने में लगेे हैं। गांधी जी के नेतृत्व में जिस आजादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी उसे भाजपा के सांसद को अंग्रेजों की सहमति से नाटक बताते शर्म नहीं आई।

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अखिलेश ने हमला जारी रखते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपाई बदजुबानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। इससे साबित होता है कि भाजपा अपनी साख और जमीन दोनों खोती जा रही है। भाषा के स्तर में गिरावट राजनीति में घटिया सोच और संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है। हाई कोर्ट और चुनाव आयोग को निम्‍नस्‍तरीय भाषाणों का संज्ञान लेकर तुरंत दंण्डात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

यूपी के पूर्व सीएम ने मांग करते हुए यह भी कहा कि, जरूरी है कि जानबूझकर भड़काऊ बयान देने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों की संसद या विधानमंडल की सदस्यता रद्द करके इन पर सदैव के लिए प्रतिबंध लगाना चाहिए। साथ ही आगामी चुनावों में उन विषयों की सूची चुनाव आयोग को पहले से ही जारी करनी चाहिए जिन पर बोलने से दोषी की उम्मीदवारी रद्द हो जाए।

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पिछले दिनों शहीन बाग व अन्‍य जगाहों पर हुए गोलीकांड के लिए भी अखिलेश ने भाजपा नेताओं के भाषण को दोषी ठहराते हुए कहा‍ कि आज के सत्ताधारी जिस प्रकार समाज को नफरत से भर रहे हैं उसी का ये दुष्परिणाम है कि कुछ नौजवान असलहों के साथ सांप्रदायिक उन्माद का प्रदर्शन करने लग गए हैं। राजनीति द्वारा पोषित इस घृणा से युवाओं में जो भटकाव आ रहा है, वह समाज और राष्ट्र की चिंता का विषय है। भाजपा व आरएसएस को इसके दुष्परिणामों से अभी से सबक लेना चाहिए।