आरयू वेब टीम।
सीबीआइ के पूर्व डायरेक्टर व वरिष्ठ आइपीएस अफसर आलोक वर्मा ने सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वर्मा ने डीजी फायर सर्विस का चार्ज लेने से इनकार करते हुए यह इस्तीफा दिया है। आलोक वर्मा ने कहा कि उनके मामले में प्राकृतिक न्याय को समाप्त कर दिया है।
वर्मा ने कहा कि सीबीआइ की साख को बर्बाद करने की कोशिश हो रही है, जबकि सीबीआइ को बिना बाहरी दबाव के काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने सीबीआइ की साख बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन मेरे मामले में पूरी प्रक्रिया को उल्टा कर मुझे निदेशक के पद से हटा दिया गया है।
सेक्रटरी पर्सनल एड ट्रेनिंग को लिखी चिट्ठी में आलोक वर्मा ने कहा कि वो पुलिस सर्विस से 31 जुलाई 2017 को रिटायर हो चुके है और सिर्फ डायरेक्टर सीबीआइ के लिए वो 31 जनवरी 2019 तक तैनात थे। अब क्योंकि उन्हें सीबीआइ पद से हटा दिया गया है, लिहाजा उन्हें तत्काल समय से पद से रिटायर माना जाए।
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आलोक कुमार वर्मा ने चिट्ठी में हवाला दिया कि उनका अब तक का सर्विस रिकार्ड बेदाग रहा है, और सेलेक्शन कमेटी ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और बिना बात सुने उन्हें पद से हटा दिया गया। सेलेक्शन कमेटी ने सिर्फ शिकायतकर्ता की बात को सुना जिस पर खुद सीबीआइ जांच कर रही है और वो खुद सीवीसी की जांच कमेटी के सामने आरोपों के सुबूत लेकर हाजिर नहीं हुआ।
बता दें कि वर्मा को गुरुवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी ने बहुमत के आधार पर पद से हटा दिया था और उसके बाद फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया था। आलोक कुमार वर्मा ने यह पद लेने से इनकार कर दिया।