आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ निदेशक आलोक वार्मा की अपने पद पर वापसी के मात्र 24 घंटे के अंदर ही उन्हें दोबारा पद से हटा दिया गया है। इस पर चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने कहा कि मैंने सीबीआइ की साख बनाए रखने की हर संभव कोशिश की है, लेकिन झूठे आरोपों के आधार पर मुझे हटाया गया।
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इस मामले में आलोक वर्मा ने एक समाचार एजेंसी को बयान दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआइ की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए और इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए।
वर्मा ने आगे कहा कि मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है, जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।
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बता दें कि गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में वर्मा को पद से हटा दिया था। साथ ही सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आइपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है। सीबीआइ निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव के पास है।