इंसान का स्‍वाभाविक गुण नहीं बदलता, समय आने पर आता है सामने: दिनेश शर्मा

व्यथा
कार्यक्रम में अपनी बात रखते दिनेश शर्मा।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। इंसान का स्वाभाविक गुण नहीं बदलता है, वह हमेशा न सिर्फ विद्यमान रहता है, बल्कि समय आने पर  सामने भी आ जाता है। ये बातें रविवार को हिंदी संस्थान के सभागार में डॉ. अभय मणि त्रिपाठी द्वारा रचित काव्य संकलन ‘व्यथा’ के लोकार्पण के अवसर डिप्‍टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कही।

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उप मुख्‍यमंत्री ने आगे कहा कि हमारी संस्कृति अंधकार को दूर करके प्रकाश लाने वाली है, हमारी संस्कृति बिखरे लोगों को एकजुट करने वाली है। व्यक्ति को अपने अंदर आधुनिकता के समावेश के साथ-साथ अपनी संस्कृति और सभ्यता को नहीं भूलना चाहिए। इंसान में नैतिक गुणों का होना बहुत ही जरूरी है। हमें अपनी संस्कृति को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। माता-पिता को हमारी संस्कृति में ईश्‍वर के समकक्ष रखा गया है।

भाव को लेखनी का स्वरूप देना ही कविता: केशरी नाथ

इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कविता के बारे में बोलते हुए कहा कि कविता वास्तव में प्रतिक्रिया है जो हम सुनते हैं, जो हम सोचते हैं, हमारे मन के अंदर जो भाव उठता है उसी को लेखनी का स्वरूप दे देना ही कविता है।

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कार्यक्रम के दौरान केशरी नाथ त्रिपाठी और दिनेश शर्मा ने काव्य संकलन ‘व्यथा’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर विद्या भारती के संरक्षक पद्मश्री ब्रह्मदत्त शर्मा, पंकज सिंह एवं हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष सदानंद गुप्त सहित अन्य लोग उपस्थित थे।