आरयू वेब टीम। अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को क्रैश हुए भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर में सवार पांचों जवानों की मौत हो गई। हादसे के बाद शुरू किए गए सर्च ऑपरेशन में शनिवार को हेलीकॉप्टर में सवार पांचवें और आखिरी जवान का भी शव बरामद कर लिया गया है। पांचों जवानों के शव बरामद होने के बाद यह सर्च ऑपरेशन पूरा हो गया। भारतीय सेना के तेजपुर डिपो के पीआरओ ने हादसे में जान गंवाने वाले पांचों जवानों की पहचान के साथ-साथ सर्च ऑपरेशन कंप्लीट होने की जानकारी दी।
हादसे में जान गंवाने वाले जवानों की पहचान मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन (मुस्तफा बोहरा), रोहिताश्व कुमार, विकास भामरू, ब्रिजेश सिन्हा, अश्विन केवी के रूप में हुई है। इसमें दो जवान राजस्थान के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं। मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन उदयपुर के रहने वाले हैं, जबकि रोहिताश्व कुमार झुंझुनूं के रहने वाले थे। हेलीकॉप्टर क्रैश में हुए दोनों जवानों की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मचा है।
मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन से राजस्थान के उदयपुर जिले के खेरोदा के रहने वाले थे। परिवार वर्तमान में उदयपुर शहर के हाथीपोल क्षेत्र के अजन्ता गली में रहता है। 27 वर्षीय मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन की शहादत की सूचना उनके परिजन अली अजगर को अरुणाचल प्रदेश यूनिट से मिली। शहीद मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन की पार्थिव देह रविवार को उनके घर पहुंच सकता है। वहीं शहीद रोहिताश्व कुमार झुंझुनूं जिले के गांव पोषाणा की खैरवा की ढाणी के रहने वाले थे। रोहिताश्व के शहादत की सूचना पर गांव पोषाणा में दिवाली की खुशियों के बीच मातम छा गया।
इधर सेना प्राधिकरण ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में भारतीय सेना के एक उन्नत हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों की जांच के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया है। दुर्घटना जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर मिगिंग गांव में शुक्रवार की सुबह हुई। हेलीकॉप्टर लिकाबली (असम में) से नियमित उड़ान पर था।
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हेलीकॉप्टर के दुर्घटना से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल को तकनीकी या यांत्रिक विफलता का संदेश प्राप्त हुआ था। प्रवक्ता ने कहा कि हादसे में शहीद होने वालों के प्रति भारतीय सेना गहरी संवेदना व्यक्त करती है और शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है।
बता दें कि लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि सेना और वायु सेना की टीमों के साथ दुर्घटना के तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया। हालांकि पहाड़ी ढलान और घने जंगल होने के कारण यह बेहद चुनौतीपूर्ण है। एक एमआई-17, दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और भारतीय सेना की तीन टुकड़ियों को तलाशी अभियान में लगाया गया।