आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम ने एक बार फिर देश के गद्दार को बेनकाब करने में सफलता पायी है। एटीएस की टीम ने जम्मू-कश्मीर की मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट और उत्तराखंड पुलिस की सहायता से उत्तराखंड के पिथौरगढ़ निवासी आइएसआइ एजेंट रमेश सिंह को पिथौरगढ़ से धर दबोचा है।
रमेश पर आरोप है कि वह पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ को गोपनीय सूचनाएं दे रहा था। जिसके बदले में उसे अमेरिकी डॉलर मिलते थे। एटीएस को उसके पास से आइएसआइ द्वारा दिया गया पाक का एक मोबाइल फोन और सिम के अलावा दो अन्य सिम व एक मोबाइल मिला है।
गोमतीनगर स्थित एटीएस के कार्यलय में आयोजित एक प्रेसवार्ता में ये जानकारी देते हुए अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि बीते तीन मई को एटीएस ने आइएसआइ एजेंट आफताब अली को गिरफ्तार किया था, जिससे पूछताछ और मामले की विवेचना के दौरान देश में रह रहे कुछ दूसरे आइएसआइ एजेंटों के बारे में जानकारी मिली थी।
मंगल को मिली सफलता, लाया जा रहा लखनऊ
आइजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि अफताब से पूछताछ के बाद बीती 20 मई को गोमतीनगर के एटीएस थाने में धारा- 121ए आइपीसी तथा 3/4/5/9 शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। जिसके बाद मंगलवार को रमेश को पिथौरगढ़ से गिरफ्तार करने में टीम को सफलता मिली। टीम को उसके घर की तलाशी में अहम सामान भी मिले, जबकि पूछताछ में रमेश ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। जिसके बाद रमेश को बुधवार को पिथौरागढ़ की अदालत में पेश किया गया तथा वहां से उसे ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जा रहा है।
जाने आइएसआइ के संपर्क में कैसे आया रमेश
एडीजी कानून-व्यवस्था के अनुसार रमेश सिंह भारतीय उच्चायोग में नियुक्त एक अधिकारी के साथ घरेलू काम करने के लिए साल 2015 में इस्लामाबाद गया था। जहां उसका संपर्क आइएसआइ के लोगों से हुआ। जिसके बाद आइएसआइ ने उसको अपना एजेंट बना लिया और रमेश उसके लिए काम करने लगा।
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दिल्ली में बदलता था डॉलर
असीम अरुण ने बताया कि रामेश को खुफिया जानकारी देने के बदले में आइएसआइ से अमेरिकी डॉलर में धन मिलता था। छुट्टियों में जब वह भारत आता तो पहले उन डॉलरों को दिल्ली में भारतीय मुद्रा में बदलवा लेता था। जिसके बाद वह उन पैसों को लेकर पिथौरगढ़ जिले के गराली खोली स्थित अपने घर जाता था।
नौ महीनों से रह रहा था भारत में
एटीएस की छानबीन में ये सामने आया है कि रमेश पिछले साल सितंबर में भारत आ गया था। जिसके बाद वह पाक नहीं गया। हालांकि इस दौरान वह अपने साथ आइएसआइ का दिया हुआ पाक का मोबाइल और सिम लाया था। एटीएस अब उसके सभी मोबाइल और सिमों की गहराई से जांच कर रही है। मोबाइल से डॉटा रिकवरी कराने के साथ ही उसका फॉरेसिक परीक्षण भी किया जाएगा।
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रिमांड पर लेकर एटीएस जुटाएगी ये जानकारी
रमेश को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ ला रही एटीएस जल्द ही उसे कोर्ट में पेश करेगी। आइजी एटीएस के अनुसार कोर्ट में पुलिस रिमांड के लिए आवेदन दिया जाएगा। जिसके बाद रमेश से एटीएस ये जानने की कोशिश करेगी कि अब तक उसने कौन-कौन सी सूचनाएं आइएसआइ को दी है। साथ ही उसके बदले उसे कितना पैसा मिल चुका है और उन पैसों का क्या किया। इन सबमें एटीएस के लिए ये जानना सबसे जरूरी होगा कि यूपी में उसे कौन से टारगेट की जासूसी करने की जिम्मेदारी आइएसआइ ने दी थी। उसके लिए उसने अब तक क्या किया है। एटीएस को उम्मीद है कि रमेश से पूछताछ करने पर कई बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं।
गिरफ्तारी में इनकी रही अहम भूमिका
रमेश तक पहुंचने में एएसपी एटीएस राजेश साहनी, एटीएस इंस्पेक्टर मंजीत सिंह, एसआई शैलेंद्र गिरी, कंप्यूटर ऑपरेटर वकील अहमद, आरक्षी हरीश व आरक्षी मनोज की अहम भूमिका रही। आइजी एटीएस के साथ ही एडीजी कानून-व्यवस्था ने भी इस टीम की सराहना की है।
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