आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हवा की गुणवत्ता एक बार फिर अपने अत्यंत खराब स्तर पर पहुंच गई है। विशेषज्ञ इसके पीछे खस्ताहाल सड़कों से उड़ती धूल और सरकारी व गैर सरकारी निर्माण कार्यों को प्रमुख कारण मान रहें हैं। राजधानी का एयर क्वालिटी इंडे़क्स (एक्यूआइ) 300 को पार करके 371 पहुंच गया है। इस संख्या को वायु प्रदूषण के मानकों में अत्यंत खराब कहा जाता है। गुरुवार को लखनऊ का एक्यूआइ-350 के करीब था, आज हालात और खराब हो गए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सरकारी विभागों को एहतियात बरतने का निर्देश दिया था, लेकिन, अधिकतर विभाग वायु प्रदूषण नियंत्रण का काम केवल कागजों पर ही कर रहें। इसके चलते राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने छह से अधिक सरकारी विभागों को पत्र लिखकर कड़ी चेतावनी दी है।
बता दें कि सोमवार से हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ने से राजधानी की हवा अत्यंत खराब स्तर पर पहुंच गयी है।
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लखनऊ के प्रमुख स्थानों का एक्यूआइ खराब है। गोमतीनगर में एक्यूआइ 342 श्रेणी पर जो कि अत्यंत खराब, अलीगंज में 338 अत्यंत खराब, लालबाग में 328 अत्यंत खराब है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र कहे जाने वाले तालकटोरा का एक्यूआइ भी 316 अत्यंत खराब है।
डॉक्टरों के अनुसार वायु प्रदूषण से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) की समस्या लोगों में बढ़ रही है। डॉक्टर केके वर्मा ने बताया कि शुरूआत में इस बीमारी के लक्षण आम तौर पर समझ नहीं आते हैं। जागरुकता के अभाव में ज्यादातर लोग गंभीर संक्रमण को अस्थमा समझ लेते हैं। जांच और उपचार में देरी से संक्रमण शरीर के दूसरे अंगों में फैल जाता है। इससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो जाता है।