आरयू ब्यूरो, प्रयागराज। सपा के संस्थापक सदस्य व सांसद आजम खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है। उनके मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को हाई कोर्ट ने सही करार दिया है। एसडीएम की रिपोर्ट और एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई है। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन और नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
कोर्ट ने कहा निर्माण पांच साल में होना था, जिसकी वार्षिक नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों और शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। ये आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है।
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मालूम हो कि सात नवंबर 2005 को सरकार ने ट्रस्ट को 400 एकड़ जमीन की मंजूरी दी, जिसमें से 12.50 एकड़ में विश्वविद्यालय बनाने की सीलिंग की गई। 17 जनवरी 2006 को 45.1 एकड़ जमीन तथा 16 सितंबर 2006 को 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मंजूरी दी गई। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि 24000 वर्ग मीटर जमीन में निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जोकि शर्तों का उल्लंघन है।
याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खान व सदस्य अब्दुल्ला आजम खान 26 फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं। इसी मामले में जेल में बंद आजम खान की पत्नी तंजीन फातमा को करीब दस महीने जेल में रहने के बाद 21 दिसंबर 2020 को जमानत मिल गई थी। एसडीएम की रिपोर्ट एक पक्षीय है। जेल में अध्यक्ष सचिव को नोटिस नहीं दिया गया।