आरयू ब्यूरो, गोंडा/लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार बलरामपुर के पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह की बीती रात मेदांता अस्पताल में मौत हो गयी। पिछले दिनों कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया था।
कहा जा रहा है कि कोरोना से जंग जीतने के बाद जब वे आइसीयू से बाहर आए, तो हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गयी। गोंडा के भाजपा जिलाध्यक्ष सूर्य नरायन तिवारी ने इसकी पुष्टि की है। दुखद यह भी है कि कि इसी माह उनकी पत्नी और जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी सरोज रानी सिंह की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हुई थी, और इसके बाद से वे सदमें में थे।
सत्यदेव सिंह के मौत की खबर मिलते ही देवीपाटन मंडल में शोक छा गया। बताया जा रहा है कि बीते दिनों कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। उन्हें एसजीपीजीआइ लखनऊ में भर्ती कराया गया था।
हालत में सुधार न होने पर उन्हें एयर एंबुलेंस से मेदांता हास्पिटल गुडग़ांव में शिफ्ट किया गया था। जहां उनकी रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आ गई थी। जिसके बाद उन्हें आइसीयू से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहां हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
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वहीं गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व सांसद और भाजपा नेता सत्यदेव सिंह के निधन पर दुख जताया। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनके निधन से पार्टी ने विचारधारा के प्रति एक समर्पित नेता को खोया है।”
बता दें कि अपनी सादगी और पारदर्शी राजनीति के कारण सत्यदेव सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कोर कमेटी तक में शामिल रहे थे। एक निर्विवाद राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने 1977 में बलरामपुर/गोंडा से सांसद पद का चुनाव लड़ा और जीते। राम मंदिर आंदोलन में भी देवीपाटन मंडल से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अभिन्न मित्रों में से एक सत्यदेव सिंह को कुछ दिनों पहले ही कोरोना संक्रमित होने के कारण मेदांता में भर्ती कराया गया था।
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बता दें की सत्यदेव सिंह 1977 में पहली बार गोंडा/बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से भारतीय लोकदल के टिकट पर सांसद चुने गए। इसके बाद 1991 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में बलरामपुर संसदीय सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। वह 1980 से 1985 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वर्तमान में लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज में प्रबन्ध समिति के उपाध्यक्ष भी थे। भाजपा केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य भी थे।