बेंगलुरु भगदड़ हादसे पर बोले योगी सरकार के मंत्री, “लोकतंत्र में व्यवस्था देना सरकार का काम, दोषियों को मिले कड़ी सजा”

संजय निषाद
मीडिया से बात करते संजय निषाद।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। आइपीएल 2025 खिताब जीतने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की जीत के जश्‍न के दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने आज दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। साथ ही कहा, “लोकतंत्र में व्यवस्था देना सरकार का काम है। कार्यपालिका इसलिए जनता का पैसा लेती है, ताकि उनको सुरक्षा और सम्मान दे। अगर डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी बने हैं, तो वे भी जनता के पैसे से पढ़कर बने हैं। अगर आप जनता के पैसों से पढ़कर अधिकारी बने हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी है। सरकारी अधिकारी जनता का होता है।

संजय निषाद ने आगे कहा, “जनता को सुरक्षा देना उसका काम होता है। राजनीति की गद्दी पर जो बैठे हैं, उनकी भी जिम्मेदारी है। अगर आप सुरक्षा और सम्मान की गारंटी दे रहे हैं, और इनमें कमी आती है, तो दोषी ये लोग हैं। निश्चित रूप से इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अगर कार्रवाई नहीं होगी, तो ऐसा हमेशा होता रहेगा। आगे घटना न हो, उसके लिए दंड होना चाहिए।”

कोई दलित खड़ा नहीं हो पाता था…

इस दौरान निषाद पार्टी प्रमुख ने कहा कि बसपा मुखिया मायावती का कहना है कि जातिवादी पार्टियां बसपा की बढ़ती ताकत से घबरा गई हैं। हाल ही में मायावती ने आरोप लगाया था कि कुछ लोग जानबूझकर कांशीराम और उनके नाम का इस्तेमाल कर भोले-भाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसपर संजय निषाद ने बसपा सुप्रीमो मायावती के दलित राजनीति पर दिए बयान पर कहा, “मैं उन्हें धन्यवाद दूंगा। वह उस समय आईं, जब कोई दलित खड़ा नहीं हो पाता था। वह चार बार सत्ता में आईं, मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।”

अंबेडकरवाद पर साधा निशाना 

संजय निषाद ने कहा कि अनुसूचित जाति अधिनियिम के अंतर्गत 66 समूह आते हैं। आज इन जातियों को ओबीसी में डाल दिया गया, उन्हें ओबीसी में डालकर असुरक्षित कर दिया गया। अगर इन जातियों को सताया जा रहा हो और उन पर स्टे लगाया जा रहा हो, तो यह कैसा अंबेडकरवाद है। बसपा का अंबेडकरवाद तब माना जाएगा, जब इन जातियों को उप-जातियों के साथ लाएं।

साथ ही योगी के मंत्री ने आज यह भी कहा है कि अंबेडकरवादी उसे कहेंगे, जो उनके लिखे संविधान के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों को सम्मान दिलाए, न कि उनका हिस्सा खाए। अगर सिर्फ तीन हजार परिवार तीन पर्सेंट का आरक्षण खाएंगे, तो गांव का लेदरमैन ऐसे ही रह जाएगा। ये कहां का अंबेडकरवाद है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में रिजर्वेशन की बात कही है।”

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