आरयू ब्यूरो, लखनऊ। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सदन में श्वेत पत्र पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया। इस पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच ‘ब्लैक पेपर’ और ‘व्हाइट पेपर’ (श्वेत पत्र) को लेकर जारी जंग को चुनावी स्वार्थ के लिए उठाया गया कदम है। साथ ही कहा कि ऐसी संकीर्ण राजनीति से देश व जनता का कल्याण कैसे हो सकता है।
मायावती ने आज अपने एक बयान में कहा कि ”कांग्रेस और भाजपा के बीच आगामी लोकसभा चुनाव से पहले गंभीर आरोप-प्रत्यारोप और ‘ब्लैक पेपर’ (काला पत्र) व ‘व्हाइट पेपर’ (श्वेत पत्र) जारी कर एक-दूसरे को गलत व जनविरोधी साबित करने का खेल सिर्फ और सिर्फ चुनावी स्वार्थ है और ऐसी संकीर्ण राजनीति से देश व जनता का कल्याण कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा, ”ऐसे समय में जब कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर देश के करोड़ों लोग जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली और ग्रामीण भारत की दुर्दशा आदि के तनावपूर्ण जीवन की मार झेलने को मजबूर हैं, इसलिए राजनीतिक दलों को स्वार्थ त्याग कर राष्ट्रीय समस्याओं पर जनता को संगठित प्रयास करने की जरूरत है।”
बीजेपी कार्यकाल को अन्यायकाल’ बताने से पहले कांग्रेस को ये…
इस दौरान मायावती ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल को ‘अन्यायकाल’ बताने से पहले कांग्रेस को यह जरूर सोचना चाहिए कि अगर उनके अपने दस साल के कार्यकाल का रिकार्ड शानदार होता तो फिर भाजपा को देश की सत्ता में आने का मौका ही नहीं मिलता।
बसपा मुखिया ने कहा कि ठीक इसी प्रकार अगर भाजपा सरकार का पिछले दस वर्षों का कार्यकाल जनहित, जनकल्याण, देशहित, सामाजिक एवं धार्मिक सौहार्द, शान्ति-व्यवस्था आदि के मामले में बेहतरीन होता तो करोड़ों लोग आज जीवन के हर क्षेत्र में इतने परेशान व बदहाल कभी नहीं होते और न ही महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि के तंग जीवन गुजारने को मजबूर होना पड़ता।
अच्छे दिन’ को लगातार तरस रहे
मायावती ने कहा कि वास्तव में अगर देखा जाये तो केंद्र में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर वर्तमान में भाजपा की दोनों के शासनकाल में देश के करोड़ों दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, गरीबों, बेरोजगारों, युवाओं, किसानों, महिलाओं एवं अन्य मेहनतकश समाज का जीवन हर प्रकार से लाचार व मजबूर बना हुआ है और वे लोग अपने थोड़े ‘अच्छे दिन’ को लगातार तरस रहे हैं।
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गौरतलब है कि सरकार ने गुरुवार को संसद में पेश अपने श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान के कुप्रबंधन और घोटालों का जिक्र करते हुए यह बताया है कि किस तरह से यूपीए सरकार के कार्यकाल में यानी 2014 से पहले भारत की अर्थव्यवस्था की हालत कमजोर थी। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद किस तरह से मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों पर काबू पाया, देश की आर्थिक विकास की रफ्तार को तेजी दी।