आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। एससीएसटी एक्ट के मुद्दे और खुद को दलितों व डॉ. भीमराव अंबेडकर का सच्चा हितैषी बताने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को जमकर हमला बोला है। साथ ही मायावती ने एक प्रेसवार्ता कर मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रहे 2007 में बनी उनकी सरकार के जीओ और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सामान बताने पर मीडिया और भाजपा पर भी निशाना साधा है। इस दौरान मायावती ने मीडिया पर तथ्यों को छिपाने तक का आरोप लगाते हुए पत्रकारों से बात की।
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मायावती ने कहा कि ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि एससीएसटी एक्ट सुप्रीम कोर्ट की तरह ही बसपा शासनकाल में शिथिल किया गया था। दिखाया ये जा रहा है कि बसपा सरकार ने जब इस अधिनियम के दुरूपयोग को रोकने के लिए आदेश दिए थे तो हाल ही मे आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध क्यों किया जा रहा है?
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मायावती ने अपने कार्यकाल की बात करते हुए आगे कहा कि यूपी में बसपा शासनकाल में विरोधी पाटिर्यों द्वारा यह प्रचार किया जाता रहा कि गैर-दलित व खासकर सवर्ण जातियों का एससीएसटी कानून की आड़ में उत्पीड़न किया जाता है।
विरोधियों के आरोपों को ध्यान में रखते हुए बसपा सरकार ने 20 मई 2007 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कानून-व्यवस्था चुस्त करने के लिए पुलिस अधिकारियों को तमाम निर्देश दिए गए थे। साथ ही आदेश के पैरा 18 में यह कहा गया कि, कभी-कभी दबंग किस्म के लोग प्रतिशोध की भावना से एससी व एसटी वर्ग के व्यक्ति को अपना मोहरा बनाकर झूठे मुकदमें दर्ज करा देते हैं। अतः इस प्रकार के मामलों में अविलंब सत्यता की जांच कर मुकदमा दर्ज किया जाए।
पांच महीने बाद वापस लिया फैसला
मायावती ने आगे कहा कि आदेश जारी होने के कुछ महीने बाद ही लोगों द्वारा इसका गलत इस्तेमाल किया जाने लगा जिसके चलते एससीएसटी के मामले दर्ज होने में दिक्कत होने लगी। इस बात को गंभीरता से लेते हुए बसपा सरकार ने 29 अक्टूबर 2007 को ही एक आदेश जारी करते हुए डीजीपी को पहले की तरह एससीएसटी मामले तत्काल मुकदमा दर्ज कराकर विधिक कार्रवाई कराने के लिए कहा गया। मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा समेत उसकी समर्थक मीडिया 20 मई के आदेश को प्रचारित कर रही है, जबकि 29 अक्टूबर के आदेश को दबा दिया गया है।
वहीं मायावती ने भाजपा सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि उनकी लापरवाही के चलते एससीएसटी एक्ट में बदलाव के चलते भारत बंद की नौबत आयी। साथ ही भारत बंद के दौरान खासकर बीजेपी-शासित राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व बिहार में वहां की प्रशासनिक एवं पुलिस अव्यवस्थाओं के कारण गैर-आन्दोलनकारियों ने बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ एवं हिंसक घटनायें की हैं। जबकि भाजपा अपनी इन कमियों को छिपाने के लिए विरोधी पार्टियां में से विशेषकर बसपा को बदनाम करने की साजिश कर रही है।
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वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी का यह कहना कि उन्होंने अपनी सरकार में डा. भीमराव अंबेडकर का सबसे ज्यादा सम्मान किया है। तो उन्हें ये भी समझना चाहिए कि बाबा साहेब के अनुयायियों को बाबा साहेब के सम्मान के साथ-साथ उन्हें खुद के मान-सम्मान व संवैधानिक अधिकारों की भी रक्षा चाहिए। जिसका खुद बाबा साहेब ने संविधान में प्रावधान किया है।
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साथ ही अमित शाह के एक बयान का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि अमित शाह का आरक्षण के बारे में यह कहना कि ‘हम आरक्षण नीति को नहीं बदलेंगे और ना ही बदलने देंगे’, इनका यह बयान पूरी तरह ये खोखला है।
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