आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। संविधान की रक्षा और देश बचाने के लिए किसी न किसी को हटाना पड़ेगा। देश को नए प्रधानमंत्री की चाहत है। वर्तमान नेतृत्व के रहते खुशहाली आना असंभव है। भाजपा को भी हटाने के लिए लोकतांत्रिक, प्रगतिशील लोगों को एकजुट होना पड़ेगा।
ये बातें शुक्रवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंटक के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह के साथ बड़ी संख्या में आए श्रमिकों और परीक्षा पास करने के बाद भी पुलिस भर्ती से बाहर किए गए अनुसूचित जाति/जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के नौजवानों को सपा मुख्यालय पर संबोधित करते हुए कही।
सपा अध्यक्ष ने हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा समाज को खतरनाक स्थिति में पहुंचा रही है। भाजपा सरकार ने नौजवानों का सपना तोड़ दिया है। वे रोजगार व नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह रोजगार के अवसर पैदा करें। भाजपा अपने वादों पर कहीं खरी नहीं उतरी है। जनता में इससे बहुत आक्रोश है।
इस समय दुनिया का सबसे दुःखी देश है भारत
अखिलेश ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा भारत को अविकसित देश बनाने की साजिश कर रही है। जाति और धर्म के नाम पर देश को उलझाया जा रहा है। समाज में नफरत फैलाना भाजपा का एजेंडा है। उन्होंने कहा कि सरकार में इच्छाशक्ति हो तो जनहित का कार्य और राज्य का विकास अवश्य हो सकता है, लेकिन भाजपा के पास सपा और उसके नेतृत्व को बदनाम करने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं है। दुनिया में इस समय सबसे दुःखी देश भारत है। जो देश भारत के बाद आजाद हुए वे कहां से कहां पहुंच गए, लेकिन हम अभी तक पिछड़े हैं।
कारपोरेट के हाथों में चली गयी है मीडिया
इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आज तो जो ज्यादा मुनाफा कमाते हैं, वहीं नीतियां भी तय करने लगे हैं। मीडिया कारपोरेट के हाथों में चली गयी है। गरीब की आवाज दबाई जा रही है। ताकतवर लोगों ने व्यवस्था पर कब्जा कर लिया है। साइकिल चलाकर इन्हें परास्त किया जाएगा। सपा पब्लिक सेक्टर को ताकत देने के पक्ष में हैं। भारत के कामगारों की दक्षता का कोई मुकाबला नहीं है।
इस दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, एसआरएस यादव, सुनील सिंह साजन, आनंद भदौरिया, रामवृ़क्ष यादव, राजेश यादव, संग्राम सिंह, उदयवीर सिंह, राजपाल कश्यप सहित वीरेन्द्र यादव, प्रभु नारायण यादव व आशुतोष उपाध्याय के अलावा हजारों लोग मौजूद रहें।
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