बोले अखिलेश, आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस-वे को प्राइवेट हाथों में देने वालों पर सपा सरकार में होगी कार्रवाई

एक्‍सप्रेस-वे के टॉल

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस-वे के टॉल को लंबे समय के लिए प्राइवेट कंपनियों को देने कि यूपीडा की तैयारियों के बीच सोमवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है। आज अपने एक बयान में अखिलेश ने कहा है कि निश्चित तौर पर एक बात बहुत स्पष्ट है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को निजी हाथों में सौंपने की साजिश में लगे लोगों को समझ लेना चाहिए कि अगली समाजवादी सरकार बनने पर भाजपा के ऐसे अनुबंध रद्द कर दिए जाएंगे। इस मामले की जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही होगी।

सपा अध्‍यक्ष ने आज मीडिया से कहा कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के टॉल निजी कंपनी को बेचने का भाजपा सरकार ने जनविरोधी फैसला लिया है। यह एक्सप्रेस-वे समाजवादी सरकार के समय बना था जिस पर वायुसेना का जहाज तक उतर चुके हैं। इस शानदार एक्सप्रेस-वे पर बने आवश्यक जन सुविधाओं शौचालय, होटल रैस्टोरेंट को भी भाजपा सरकार बेच चुकी है और अब टॉल वसूली का जिम्मा निजी एजेंसी को 15 से 20 साल तक के लिए दिये जाने की योजना है। भाजपा सरकार का यह कदम प्रदेश के हितों तथा जनता के साथ विश्‍वासघात है।

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अखिलेश ने कहा कि एक्सप्रेस-वे एक सरकारी परियोजना के अंतर्गत बनाया गया है। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में जनता का धन लगा है। समाजवादी सरकार ने इसके लिए बाकायदा बजट का प्राविधान किया था। राज्य की सम्पत्ति को इस तरह निजी हाथों में सौंपा जाना अनुचित, अव्यवहारिक और निन्दनीय है। भाजपा सरकार राज्य की संपत्ति बेचने का काम कर रही है। इस तरह तो भाजपा का बस चलेगा तो वह पूरे उत्तर प्रदेश को भी बेच सकती है? भाजपा सरकार की घोषणाओं, एमओयू तथा तमाम आश्वासनों के बावजूद उत्तर प्रदेश में पूंजीनिवेश तीन वर्ष में आया नहीं, अब अगर उत्तर प्रदेश को ही बेच देंगे तो क्या तमाम समस्याओं का समाधान हो जायेगा?

खेती को भी प्राईवेट कंपनियों के हवाले करने का है भाजपा सरकार का इरादा

सपा अध्‍यक्ष ने आज आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि भाजपा सरकार का इरादा इसी तरह खेती को भी बड़ी प्राईवेट कंपनियों के हवाले करने का है। किसानों के खेतों को पूंजीघरानों के पास बंधक रखने और अन्नदाता को भिखारी बनाने का यह कुचक्र तेजी से चल रहा है। इससे किसान अपनी खेती की जमीन का मालिक बनने के बजाय उसका खेतिहर मजदूर बन जाएगा।

…आखिर सरकारी खजाने में कितनी रकम की कमी हो गई है?

भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह समझ से परे है कि भाजपा सरकार निजी कंपनियों पर इतना मेहरबान क्यों हो रही है? हाल ही में सरकार ने कोरोना संकट के बहाने सभी कर्मचारियों, सांसदों, विधायकों से अच्छीखासी धनराशि ली है, कर्मचारियों के भत्ते खत्म कर दिए हैं। जनता द्वारा भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कोष में आर्थिक सहायता जमा हुई है। इसके बाद भी आखिर सरकारी खजाने में कितनी रकम की कमी हो गई है?

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