आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने पेपर लीक मामले में फंसे अपनी पार्टी के विधायक बेदीराम का नाम सामने आने पर अब उनसे किनारा कर लिया है। साथ ही राजभर ने गुरुवार को कहा कि बेदीराम सपा का आदमी है। सपा ने विधानसभा चुनाव में अधिकतर आदमी मेरे सिंबल से लड़वाए थे।
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव के समय यह बात कही कि हम आपको सीट तब देंगे जब प्रत्याशी हमारे होंगे। उन्होंने कहा कि जौनपुर के एक सीट से विधायक है जगदीश नारायण राय वह हमारी सीट से विधायक है, लेकिन वह सपा का टोपी और झंडा अपनी गाड़ी पर लगाकर चलते हैं, सपा की पर्ची काटते हैं।
वहीं पेपर लीक मामले में बेदीराम को पेश होने का नोटिस मिलने से जुड़े सवाल पर विधायक से पल्ला झाड़ते हुए ओपी राजभर ने कहा बेदीराम के मामले में कोर्ट अपना काम कर रही है। बेदीराम कोर्ट जा रहे थे या नहीं मुझे जानकारी नहीं है।
दरअसल, लखनऊ की गैंगस्टर कोर्ट ने बुधवार को भर्ती घोटाला मामले में सुभासपा के विधायक बेदीराम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। दोनों भाजपा के सहयोगी दलों के विधायक हैं।
लखनऊ की गैंगस्टर कोर्ट के जज पुष्कर उपाध्याय ने दोनों विधायकों के अलावा 18 अन्य आरोपितों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर वारंट जारी किया है। कोर्ट ने कृष्णानगर इंस्पेक्टर को 26 जुलाई तक गिरफ्तारी वारंट तामील कराने के निर्देश दिए हैं।
बेदीराम गाजीपुर की जखनियां विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले हैं। वहीं, विपुल दुबे भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं। बेदीराम को सुभासपा अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री ओपी राजभर का करीबी माना जाता है।
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एसटीएफ ने फरवरी 2006 में बेदीराम और विपुल दुबे को पेपर लीक के एक मामले में अरेस्ट किया था। दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगा था। एसटीएफ ने आरोपितों के पास से रेलवे भर्ती ग्रुप डी की परीक्षा का प्रश्न पत्र भी बरामद किया था। जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी। कोर्ट ने बेदीराम और विपुल दुबे की हाजिरी माफी की अर्जी को भी खारिज कर दिया।
फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान बेदीराम ने जो शपथ पत्र पेश किया था। उसमें सामने आया था कि विधायक पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में रेलवे और पुलिस भर्ती पेपर लीक से जुड़े कई केस दर्ज रहे हैं। बेदीराम पर दर्ज कुल नौ मुकदमों में आठ पेपर लीक से जुड़े हैं।