#CitizenshipAmendmentBill: सुप्रीम कोर्ट में IUML ने दाखिल की याचिका, बताया संविधान की मूल भावना के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) के चार सांसदों ने अपनी याचिका में कहा कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत ही नहीं देता। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, इसलिए इस विधेयक को रद्द किया जाए।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अपनी याचिका में कहा, ‘नागरिकता संशोधन बिल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ट्वीन टेस्ट पर खरा नहीं उतरता है। धर्म के आधार पर वर्गीकरण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।साथ ही दायर याचिका में ये भी कहा गया है कि ये विधेयक संविधान में वर्णित सेक्युलरिज्म के मूल सिद्धांतों का हनन करता है।’ मुस्लिम लीग के चार सांसदों की तरफ से याचिका दाखिल हुई है। इस दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। आइयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता।

यह भी पढ़ें- CAB पारित होने पर कांग्रेस-सपा सहित विपक्ष ने मोदी सरकार पर बोला हमला, जानें किसने क्‍या कहा

वहीं मुस्लिम लीग के सांसद पीके कुनहालकुट्टी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि हमने कल बुधवार को संसद से पास नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ केस फाइल कर दिया है। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। यह संविधान के मूल भावना के बिल्कुल खिलाफ है और किसी को भी धर्म के आधार पर इसको नष्ट करने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि कैसे आप किसी अवैध घुसपैठ को मान्यता देते हुए नागरिकता प्रदान कर सकते हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्‍होंने बताया कि हमने अपने वकील के तौर पर कपिल सिब्बल को नियुक्त किया है।

यह भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध प्रदर्शन