आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम जगहों पर महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए डीजीपी ओपी सिंह व अन्य जिम्मेदारों ने बात की थी। उसके अगले ही दिन सूबे की राजधानी में लोगों की जनता की सहायता के लिए स्थापित सीएम हेल्प लाइन 1076 में ही तैनात महिला कॉलरों को टॉर्चर करने का बेहद संगीन मामला सामने आया है। विभूति खण्ड के साइबर टॉवर में टॉर्चर से परेशान युवतियां बेहोश हो गयी। हालत बिगड़ने पर उन्हें लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जहां उन्होंने चार महीने की सैलरी नहीं देने, छेड़खानी, आत्महत्या के लिए उकसाने, बंधक बनाने समेत संस्था पर कई गंभीर आरोप लगाने के साथ ही इंस्पेक्टर विभूति खण्ड सत्येंद्र कुमार राय से शिकायत करने पर उल्टा उन्हीं लोगों को जेल भेजने का आरोप लगाया है। अस्पताल में हंगामा करने वालें कर्मचारियों का आरोप था कि इंस्पेक्टर संस्था से पैसा लेकर उनके लिए काम कर रहे हैं।
अस्पताल में युवतियों ने रोते-कलपते हुए मीडिया के सामने कहा कि उन लोगों को नाम मात्र सैलरी दी जा रही है। मांग करने पर आज चार युवतियों का मोबाइल जमा कराने के साथ ही उन्हें कमरे में अधिकारियों ने बंद कर दिया। उसके बाद उन्हें सादे कागज पर साइन करने के लिए दबाव बनाने के साथ ही ऐसा नहीं करने पर नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया।
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वहीं अस्पताल में भर्ती एक युवती ने कहा कि कंपनी के सुपरवाइजर अनुराग गुप्ता ने उसका पहले दुपट्टा खीचा था। जिसकी उसने शिकायत की थी, इसी बात से नाराज वह आज कह रहा था कि दुपट्टा खीचने की बात तुम सबसे कहोगी, आत्महत्या क्यों नहीं किया, करो आत्महत्या।
इस दौरान चार युवतियों के जहर खाने की बात भी सामने आयी जिसके बाद हड़कंप मच गया। हालांकि बाद में पुलिस ने कहा कि युवतियों ने जहर नहीं खाया है। वहीं पुलिस को एक बैग से पेट्रोल से भरी बोतल जरूर मिली है।
चार महीने में मिले 1900 रुपए
अस्पताल में भर्ती युवती ने कहा कि पिछले चार महीने में उसे सिर्फ 1900 रुपए बतौर सैलरी के मिले हैं। वहीं अन्य कई कर्मचारियों को मात्र दो से चार सौ रुपए देकर टाला जा रहा है।
दो दिन पहले ही युवक ने की थी जान देने की कोशिश, फिर भी नहीं चेते जिम्मेदार
बीते बुधवार को वेतन नहीं मिलने से नाराज कॉलर दुर्गेश कुमार टॉवर की छठी मंजिल से कूदने जा रहा था। हालांकि किसी तरह से उसे समझा-बुझाकर नीचे उतार लिया गया था। इस दौरान भी तमाम युवक-युवतियों ने चार महीने से वेतन नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था।
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कर्मचारियों ने पत्रकारों को बताया था कि उन लोगों ने सैलरी और नियुक्ति पत्र के लिए बीते 15 व 16 फरवरी को वेतन के लिए सीएम आवास के घेराव की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया था। जिसके बाद संस्था ने कुछ कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देने के साथ ही 6 मार्च तक सैलरी देने की बात कही थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मुख्य सचिव ने खुद पहुंचकर दी थी नसीहत
वहीं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मुख्य सचिव राजीव कुमार खुद भी सीएम हेल्पलाइन की हकीकत जानने के लिए पहुंचे थे। जहां उन्होंने कंपनी के लोगों के साथ ही कॉलरों से बातचीत कर जनता की आने वाली शिकायतों पर ध्यान देने को कहा था। उसके बाद आज हुई सनसनीखेज घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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बताते चलें कि विभूतिखंड स्थित साईबर हाईट से सीएम हेल्पलाइन 1076 संचालित की जा रही है। जिसका जिम्मा बीपीओ स्योरविन नामक कंपनी उठा रही है। 500 सीटों वाले इस सेंटर पर युवक-युवतियों को जनता की शिकायत सुनने के लिए बतौर कॉलर नियुक्त किया गया है।
हाथ जोड़ने के लिए नहीं पुलिस
आरोपों के बारे में इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार राय का कहना है कि कर्मचारी जब हंगाम कर रहे थे, उन्हें जेल भेजने की बात कही थी। हंगामा करने वालों के साथ और क्या किया जा सकता है। पुलिस का यहीं काम है वह हाथ जोड़ने के लिए नहीं है।
जो लोग आज हंगामा कर रहे थे उनके खिलाफ भी अन्य कर्मचारियों ने काम नहीं करने देने की शिकायत की है। घटना के साथ ही इंस्पेक्टर पर लगे आरोपों की भी जांच की जाएगी। जांच के बाद जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अनुराग वत्स, एएसपी नार्थ