आरयू वेब टीम। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालीज टंडन से मुलाकात कर भाजपा पर सरकार अस्थिर करने समेत कई आरोप लगाएं हैं। साथ ही उन्होंने मुलाकात के बाद कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार मजबूत है, इसको लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।
आज भोपाल में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात के बाद राजभवन के बाहर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कोरोना वायरस के चलते राज्य विधानसभा का बजट सत्र टलने के सवाल पर पत्रकारों से कहा कि कोरोना वायरस तो यहां राजनीति में है, पहले इसे हटाना होगा। वहीं एमपी की सरकार के बारे में सीएम का कहना था कि सरकार मजबूत है, चिंता की कोई बात नहीं है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपकर भाजपा पर कांग्रेस के विधायकों को बंधक बनाये रखने और विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है। कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल से राजभवन में मुलाकात की और राज्यपाल टंडन को तीन पृष्ठों का एक पत्र सौंपा।
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कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा मीडिया को जारी इस पत्र में कमलनाथ ने 16 मार्च से शुरु होने वाले बजट सत्र के दौरान शक्ति परीक्षण कराने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। कमलनाथ ने पत्र में तीन मार्च की रात और चार मार्च से 10 मार्च तक हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए इस दौरान खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। उन्होंने पत्र में इन परिस्थितियों को मद्देनजर लोकतंत्र को खतरे में बताया। विधायकों के इस्तीफे पर कमलनाथ ने पत्र में कहा, ‘‘ भाजपा नेताओं द्वारा सौंपे गए कांग्रेस के इन विधायकों के त्यागपत्र की हम जांच कराये जाने की आपसे उम्मीद करते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि इन कांग्रेस नेताओं को कब्जे में रखा गया है और इनको जल्द मुक्त करने के लिए कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में राज्यपाल से बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखे गए विधायकों को मुक्त कराया जाना सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करने के लिए भी कहा है।
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वहीं, विधानसभा अध्यक्ष एन.पी प्रजापति ने कहा कि विधायक सामने आकर त्यागपत्र देंगें तब नियमानुसार इन पर कार्रवाई की जाएगी। अध्यक्ष ने इस मामले में विधायकों को नोटिस जारी किया है।
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उल्लेखनीय है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने से मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के बागी विधायकों ने भी त्याग पत्र दे दिया है। इनमें से अधिकतर विधायक बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं और कांग्रेस ने इन विधायकों के भाजपा के ‘‘कब्जे’’ में होने और दबाव में आकर त्यागपत्र देने का आरोप लगाया है।