आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में करीब 25 सालों से आउटसोर्सिंग पर तैनात एक कम्प्यूटर ऑपरेटर ने मंगलवार को फांसी लगाकर जान दे दी है। परिवार के इकलौते कमाने वाले 50 वर्षीय ऑपरेटर संतोष कुमार जायसवाल की मौत से परिजनों में कोहराम मचा है। वहीं साथी कर्मियों में एलडीए अधिकारी की कार्यशौली व आचरण के खिलाफ रोष व्याप्त है।
पत्नी मालती जायसवाल ने तो एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी पर संतोष कुमार को प्रताड़ित करने व आत्महत्या के लिए उकसाने का सीधा आरोप लगाते हुए कैंट कोतवाली में तहरीर दी है, हालांकि रात नौ बजे तक कैंट पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया था। इंस्पेक्टर कैंट का कहना था कि शव का पोस्टमॉर्टम कराने के साथ ही आरोपों के संबंध जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर एलडीए भी वीसी की ओर से सफाई देते हुए न बार-बार प्रेस नोट जारी कर परिजनों के आरोपों को सिरे से नकारने की न सिर्फ कोशिश में लगा रहा, बल्कि जान दे चुके संतोष कुमार को ही भ्रष्टाचार में लिप्त होने का तर्क दे रहा था।
बताया जा रहा है कि कैंट कोतवाली के हाता रामदास में संतोष कुमार पत्नी मालती, बेटी रीतिका, बेटे आदित्य और 80 वर्षीय बुजुर्ग मां के साथ रहते थे। संतोष एलडीए में लगभग 25 सालों से आउटसोर्सिंग पर कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात थे। आज सुबह करीब दस बजे संतोष नहाने की बात कहकर मकान के ऊपरी तल पर गए और कीचन में लगी कुंडी के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। कुछ देर बाद परिजन ऊपर पहुंचे तो फंदे से शव लटकता देख घर में रोना-पीटना मच गया। घरवाले ने किसी उम्मीद में संतोष को फंदे से उतारकर सिविल अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने भी जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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संतोष की मौत के बाद पत्नी मालती व बेटे आदित्य ने उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी पर कई संगीन आरोप लगाए। पत्नी का कहना था कि संतोष करीब दस दिनों से परेशान थे। वीसी लगातार उन्हें प्रताडि़त करने के साथ ही नौकरी से निकालने की धमकी दे रहे थे। कल दोपहर भी इंद्रमणि त्रिपाठी ने उन्हें अपने कमरे में बुलाकर परेशान करने के साथ ही गालियां भी देते हुए नौकरी से निकाल दिया था। जिससे संतोष बिल्कुल टूट चुके थे, उन्होंने अपना टिफिन भी नहीं किया था और घर पहुंचने पर भी वह कुछ नहीं बोल रहे थे। काफी पूंछने पर उन्होंने उपाध्यक्ष की हरकतें बयान की थी कि किस तरह से इंद्रमणि त्रिपाठी ने उनको अपमानित करते हुए नौकरी से निकाल दिया है। पत्नी ने वीसी पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि संतोष के कंधों पर पत्नी-बच्चों के अलावा बूढ़ी मां की भी जिम्मेदारी थी, अब उन लोगों का क्या होगा।
कंपनी भी नहीं दे रही थी समय से सैलरी
वहीं इस पूरे मामले में तीन महीना पहले ही कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रदान करने का ठेका लेने वाली कंपनी रेलीप्रोम्प्ट इंटरप्राइजेज लिमिटेड की भूमिका पर भी ऑपरेटरों ने सवाल उठाएं हैं। साथी की मौत से आहत ऑपरेटरों का कहना था कि कंपनी समय से सैलरी नहीं दे रही थी। जुलाई की सैलरी कई बार मांगने पर सितंबर में दी गयी, जबकि अगस्त व सितंबर की सैलरी अब तक नहीं दी जा रही है। इससे भी संतोष परेशान चल रहे थे।
गाजियाबाद से आए इंजीनियर की भूमिका भी संदिग्ध
ऑपरेटरों की मानें तो गाजियाबाद की इस कंपनी में गाजियाबाद से ही एलडीए आए एक इंजीनियर का पैसा लगा है। यही वजह है कि तय शर्तों के अनुसार लखनऊ में ऑफिस नहीं होने के बाद भी कंपनी पर इंजीनियर न सिर्फ अपनी कृपा बरसाए हैं, बल्कि 55 ऑपरेटरों का जेम पोर्टल से ठेका करने के बाद करोड़ों रुपए में 70 ऑपरेटरों का काम इंजीनियरों ने खेल करते हुए कंपनी को दे दिया। वहीं इस मामले में ठेका कराने वाले अधिशासी अभियंता मनोज सागर कुछ भी बोलने से बच रहें, जबकि चीफ इंजीनियर एके सिंह ने मामले की जांच कराने की बात कही है।
एलडीए ने भी की दुनिया छोड़ जाने वाले संतोष पर आरोपों की बौछार
दूसरी ओर पत्नी मालती के बाद एलडीए ने भी संतोष पर आरोपों की बौछार करते हुए दोपहर व रात में दो प्रेस नोट व वीडियो जारी किया। जिसमें एलडीए वीसी की ओर से कहा गया कि संतोष कुमार प्राधिकरण भवन के भूतल स्थित काउंटर नंबर नौ पर चालान बनाने का काम करते थे। कुछ दिनों पहले अधिवक्ताओं के साथ आये एक दंपत्ति ने प्राधिकरण कार्यालय में चालान काउन्टर के समीप उपस्थित होकर मौखिक आरोप लगाया था कि संतोष कुमार ने गोमती नगर के विजयंत खण्ड में प्लॉट नंबर बी-4/742 का दाखिल खारिज करने के लिये दस हजार रुपये का चालान बनाया था। इस दौरान संतोष कुमार ने काम करवाने का ठेका लेकर उनसे कुछ रुपये वसूले थे व कई दिन बीत जाने के बाद भी संतोष ने पैसा वापस नहीं दिया और आनाकानी कर रहे थे। इस दौरान दोनों पक्षों में काफी देर तक वाद-विवाद हुआ, जिसका मौके पर उपस्थित लोगों द्वारा कुछ अंश का वीडियो भी बनाया था।
अधिकारियों का दावा कर्मचारियों ने बताया था…
एलडीए ने आज यह भी दावा किया कि नगर निगम के एक रिटायर रेवेन्यू इंस्पेक्टर व उनके साथ आये एक अन्य व्यक्ति ने भी संतोष कुमार पर नामान्तरण कराने के एवज में रुपये वसूलने का मौखिक आरोप लगाया था। एलडीए के अधिकारियों ने आरोपों से आगे बढ़ते हुए आज यहां तक कहा कि उन्हें कर्मचारियों ने बताया था कि आये दिन अलग-अलग लोगों द्वारा प्राधिकरण भवन आकर संतोष कुमार से रुपयों का तगादा करते थे, जिससे अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न होती थी।
मौत की वजह हो सकती है व्यक्तिगत
अधिकारियों ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए रात में जारी प्रेस नोट में यह भी आंकलन कर लिया कि अब तक जो तथ्य उनके प्रकाश में आये हैं, उससे स्पष्ट है कि इस आकस्मिक घटना के पीछे प्रथम दृष्टया उक्त प्रकार के या अन्य व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं। यहां स्पष्ट करना है कि वह अभी तक आउटसोर्सिंग कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्य कर रहा थे और उन्हें आउटसोर्सिंग एजेन्सी से हटाया नहीं गया था। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से प्राधिकरण के किसी अधिकारी का किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं है।
इंद्रमणि त्रिपाठी को बचाने के लिए घटियापन पर उतरा एलडीए
वहीं इन आरोपों पर संतोष कुमार की पत्नी मालती का कहना था कि एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी को बचाने के लिए एलडीए घटिया हरकत करने पर उतर आया है दुनिया छोड़ चुके उनके पति पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि उनके पति 25 सालों से एलडीए में काम कर रहे थे इंद्रमणि त्रिपाठी से पहले अधिकतर अधिकारियों ने उनकी तारीफ ही की थी, उनकी छवि साफ थी आज से पहले कोई आरोप भी नहीं लगे थे। आज भी जो आरोप लगाए जा रहें वह भी मौखिक ही बताए जा रहें हैं, परिवार में भी सबकुछ ठीक चल रहा था। इन सबसे समझा जा सकता है कि एलडीए अपने अधिकारी को बचाने के लिए किस तरह से अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है, जबकि उनके पति की मौत के जिम्मेदार इंद्रमणि त्रिपाठी ही हैं, जिन्हें सजा मिलनी ही चाहिए।
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दूसरी ओर इस बारे में इंद्रमणि त्रिपाठी से का पक्ष जानने की कोशिश की गयी तो उनका कॉल ही रिसीव नहीं हुआ। हालांकि छुट्टी पर होने के बावजूद अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने जरूर इस मामले की गंभीरता के देखते हुए जांच कराकर कार्रवाई की बात कही है। शासन के तलब करने पर एलडीए ने भी अपनी सफाई शासन को भेजी है।