आरयू वेब टीम। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामलों में कुछ कमी आ रही। इस बीच अस्पतालों में भर्ती हुए कोरोना मरीजों के सैंपलों के जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आई है। इसमें दिसंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह तक हुई मौतों की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अवधी में जिन लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है वह सभी ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित थे।
दिल्ली में 14 जनवरी के बाद से ही कोरोना के केस कम हो रहे हैं, हालांकि रोजाना औसतन 30 से 35 लोगों की मौतें भी हो रही हैं। संक्रमितों में कोरोना का कौन सा वैरिएंट है इसका पता लगाने के लिए सैंपलों की सीक्वेंसिंग की जा रही है। दिल्ली में तीन लैब में सीक्वेंसिंग की जा रही है। इनमें एक लैब दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल में है। दूसरी इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस और तीसरी एनसीडीसी (नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल) की लैब है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर मीडिया को बताया कि इनमें से एक लैब की ओर से जीनोम सीक्वेंसिंग का डाटा जारी किया है। इसमें पता चला है कि दिसंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह के बीच जिन लोगों की कोरोना से मौत हुई है। वह सभी ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित थे।
इसमें बड़ी संख्या में उन लोगों की मौत हुईं थी जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। यह मरीज कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि अपनी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे। इनकी जांच करने पर यह कोरोना से संक्रमित मिले थे। इनके सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे।
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दिल्ली में करीब 80 से 85 फीसदी संक्रमितों में अब ओमीक्रॉन ही मिल रहा है। विभाग के अधिकारी का कहना है कि दिल्ली में दिसंबर के आखिरी सप्ताह से केस बढ़ने लगे थे। कोरोना के मामले बढ़ने की वजह ओमीक्रॉन वैरिएंट ही था। इसलिए यह पता लगाना जरूरी था कि जिन लोगों की मौतें हुई हैं। वह ओमीक्रॉन से संक्रमित थे या फिर डेल्टा की चपेट में थे।
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली में अब ओमीक्रॉन डेल्टा को रिप्लेस कर चुका है। इस वजह से जो लोग संक्रमित हुए और उनकी मौतें हई उनमें ओमीक्रॉन ही मिला है, हालांकि यह भी दावा किया जा रहा है कि अधिकतर लोगों की मौत का मुख्य कारण ओमीक्रॉन नहीं, बल्कि उनकी बीमारी थी।