दुनिया को अलविदा कह गए संतूर सम्राट पंडित शिवकुमार शर्मा

पंडित शिवकुमार शर्मा

आरयू वेब टीम। देश के संतूर सम्राट पद्म विभूषण संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 84 वर्षीय शिवकुमार पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने के कारण डायलिसिस पर थे। पंडित शिवकुमार के निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

उनका जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पांच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने 13 वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था।

साल 1985 में उन्हें अमरीका के बोल्टिमोर शहर की मानद नागरिकता प्रदान की गई। 1986 में शिवकुमार शर्मा को ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। सन 1991 में उन्हें ‘पद्मश्री पुरस्कार’ और 2001 में उन्हें ‘पद्म विभूषण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

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शिवकुमार शर्मा ने कई संगीतकारों जैसे जाकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने हिंदी फिल्मों जैसे “डर”, “सिलसिला”, “लम्हे”, आदि के लिए संगीत भी बनाये। उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में कॉल ऑफ द वैली, संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार, आदि हैं।

शिवकुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफिज अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, आदि जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हैं।

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