ई-रिक्‍शा समेत लखनऊ नगर निगम ने सील किया घर तो परेशान युवक ने दे दी जान, परिजनों ने चक्‍काजाम कर की हत्‍या का मुकदमा दर्ज करने की मांग

नगर निगम सुसाइड
सड़क पर शव रखकर विलाप करते परिजन।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में सरकारी विभाग की कार्रवाई के  बाद इस बार एक युवक ने परेशान होकर जान दे दी है। ताजा मामला बाजारखाला के टिकैतगंज से सामने आया है। यहां मात्र 57 हजार की हाउस टैक्‍स वसूली के लिए नगर नगम ने परिजनों की मिन्‍नतों के बाद एक घर को सील कर दिया। मकान में पेट पालने का जरिया ई-रिक्‍शा भी सील होने से परेशान 34 वर्षीय शीतल कश्‍यप ने फांसी लगाकर जान दे दी।

आज कमरे में उसकी लाश लटकती देख इसकी जानकारी हुई तो घरवालों में कोहराम मच गया। घटना से आक्रोशित परिजन व मोहल्‍लेवालों ने शीतल की मौत का जिम्‍मेदार नगर नगम के अफसर-कर्मियों को बताते हुए गनेशगंज चौराहे के पास शव  सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। हालांकि बाजारखाला कोतवाली में मृतक के भाई राजेश की ओर से तहरीर दिए जाने के बाद भी रात तक पुलिस जांच की बात कहती रही। दूसरी ओर इतने गंभीर मामले व संगीन आरोपों के बाद भी नगर निगम के अधिकारी भी इस बारे में बोलने से बचते रहें।

मृतक शीतल की बुजुर्ग मां फूलमती ने रोते-कलपते हुए बताया कि वह रिश्‍तेदार की शादी में शामिल होने के लिए मोहान रोड स्थित गांव गयीं थीं, दोनों बेटे भी बाहर थे। इस बीच शुक्रवार को नगर नगर जोन छह की टीम उनका घर सील करने पहुंची थी। जानकारी होने पर उन्‍होंने टीम से मोबाइल से बात कर एक दिन की मोहल्‍ल देने की काफी मिन्‍नतें की, लेकिन अधिकारी व कर्मी नहीं माने और नोटिस चस्‍पा करने के साथ ही ताला लगाकर उनके मकान को सील कर दिया। सीलिंग की कार्रवाई से अंदर ही खड़ा शीतल का ई-रिक्‍शा भी सील हो गया।

भाई राजेश ने बताया कि शीतल वापस लौटा तो मकान के साथ-साथ अपना ई-रिक्‍शा भी सील देख सदमे में आ गया। वह पिछले रास्‍ते किसी तरह मकान में पहुंचा और रात में फांसी लगाकर जान दे दी। आज सुबह कमरे में उसका शव फंदे के सहारे खूटी से लटकता हुआ मिला।

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वहीं सूचना पाकर मौके पर पहुंची बाजारखाला पुलिस ने शव को कब्‍जे में लेकर पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजा। पीएम के बाद परिजन व मोहल्‍लेवालों ने गनेशगंज चौराहे पर लाश रखकर प्रदर्शन करते हुए नगर निगम के अधिकारी-कर्मियों के खिलाफ हत्‍या से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की। युवक की मौत से आक्रोशित प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि बड़े लोगों का लाखों का टैक्‍स बकाया होने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी उनकी बिल्डिंगों को सील करने की जगह अपने फायदे के लिए जगह टैक्‍स कटौती के पैंतरे बताते हैं, जबकि मिन्‍नतों के बाद भी एक गरीब का 57 हजार का टैक्‍स भी उन्‍हें बहुत भारी लग रहा था। ऐसे संवेदनहीन अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर होनी चाहिए, जिससे कि फिर किसी गरीब की इस तरह जान न जाए।

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वहीं प्रदर्शन की जानकारी पर पहुंची बाजारखाला पुलिस ने परिजनों को काफी समझाने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्‍वासन देकर जाम समाप्‍त कराया। इंस्‍पेक्‍टर बाजारखाला ने बताया भाई राजेश की ओर से नगर निगम जोन छह के अधिकारी व कर्मी के खिलाफ तहरीर दी गयी है। फिलहाल तहरीर के आधार पर मामले की जांच करते हुए आगे की कार्रवाई की जा रही है।

पांच दिन ही पहले लॉन मालिक ने दी थी जान, एलडीए पर लगा था आरोप

बताते चलें कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब लखनऊ में सरकारी विभाग से परेशान होकर किसी ने जान दी है। पांच दिन पहले ही ऐशाबाग स्थित पंजाब लॉन के मालिक मुकेश शुक्‍ला (52) ने बाजारखाला क्षेत्र स्थित घर में फांसी लगाकर जान दे दी थी। मुकेश के परिजनों का आरोप था कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लॉन लीज पर होने के बाद भी मनमाने तरीके से उसपर बुल्‍डोजर चला दिया था। एलडीए के अधिकारियों को मुकेश की मौत का जिम्‍मेदार बताते हुए घरवालों का कहना था कि लॉन ध्‍वस्‍त होने के बाद से ही मुकेश शुक्‍ला अवसाद में चल रहे थे और अंत में उन्‍होंने जान दे दी।

दशकों से रह रहे चुन्‍नीलाल नहीं बरदाश्‍त कर सकें सदमा

वहीं अकबरनगर में बीती दिसंबर में एलडीए द्वारा मकानों को गिराने का नोटिस दिए जाने के बाद। वहीं के रहने वाले चुन्‍नीलाल की भी हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी। परिजनों ने इसके लिए भी एलडीए की कार्रवाई को दोषी बताया था। पोते का कहना था कि दशकों से उसके दादा यहां रह रहे थे, ऐसे में मकान टूटने की बात का सदमा वह बर्दास्‍त नहीं कर सके।

दुकान सीलिंग के दौरान आया हार्ट अटैक

इसके अलावा दिसंबर में ही पुराने लखनऊ के नक्‍खास में एक दुकान की सीलिंग की कार्रवाई के दौरान भी एक बुजुर्ग को हार्ट अटैक आ गया था। यहां के लोगों ने भी आरोप लगाया था कि वसूली कर बाजारखाला में एलडीए के इंजीनियर व अधिकारी दर्जनों बड़े अवैध निर्माण करा रहें हैं, लेकिन एक छोटी सी दुकान को सील कर वसूली की रकम बढ़ाने के लिए दहशत बनाना चाहते हैं।

जनता से सीधे जुड़े विभागों के अधिकारियों की मंशा-क्षमता पर उठ रहें सवाल

दो महीने के अंदर इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण व नगर निगम जैसे जनता से सीधे जुड़े विभागों में बैठे अधिकारियों की मंशा पर न सिर्फ लगातार सवाल उठ रहें, बल्कि योगी सरकार की छवि पर भी ये मामले दाग लगा रहें हैं। ऐसे में इन मामलों की उच्‍च स्‍तरीय जांच की भी अब मांग उठने लगी है।

संवेदनहीन अफसरों की हो जांच

आज शीतल की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों का भी कहना था नगर निगम के अफसरों की जांच कराई जानी चाहिए की गरीबों से 57 हजार की वसूली के लिए मानवता को तार-तार करने वाले संवेदनहीन अफसर अमीरों से लाखों के बकाये की वसूली में किस तरह के कदम उठा रहें हैं।

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नगर निगम सुसाइड
नगर निगम ने इसी मकान को किया सील।