E-टेंडर की जगह चीफ कार्यालय में सामान्‍य निविदा करा रहा थे LDA के इंजीनियर, पाने के लिए ठेकेदारों में हुई जमकर मारपीट

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में टेंडर कराने की प्रक्रिया में मनमानी का मामला आज एक बार सामने आया है। योगी सरकार की ई-टेंडर कराने की मंशा पर पानी फेरते हुए इंजीनियरों ने एक-दो नहीं, बल्कि सामान्‍य निविदा के तहत 13 टेंडर कराने की चीफ इंजीनियर कार्यालय में तैयारी की थी, हालांकि इन्‍हीं में से जोन चार के एक टेंडर पाने के लिए आज ठेकेदारों के दो गुटों में जमकर मारपीट होने से एलडीए में हड़कंप मच गया। जिसके बाद आनन-फानन में सभी 13 निविदाओं को निरस्‍त कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि आज जानकीपुरम विस्‍तार, अलीगंज, गोमतीनगर विस्‍तार, लोहिया पार्क, जनेश्‍वर पार्क समेत अन्‍य क्षेत्रों के दस लाख की धनराशि के अंदर वाले 13 टेंडर चीफ इंजीनियर कार्यालय में डाले जा रहे थे। इसी बीच दोपहर करीब दो बजे जोन चार के अलीगंज सेक्‍टर आई स्थित एलडीए के स्‍टोर की बाउंड्री की मरम्‍म व रंगाई के करीब दस लाख (जीएसटी समेत) का टेंडर डालने को लेकर ठेकेदारों के दो गुट आमने-सामने आ गए। जिसके बाद चीफ कार्यालय से लेकर बाहर गैलरी तक दोनों गुटों में जमकर मारपीट होने लगी।

सीसीटीवी में कैद हुई घटना

शोर-शराबा सुनकर मौके पर पहुंचे एलडीए के सुरक्षाकर्मियों व पुलिस ने ठेकेदारों को अलग किया। हालांकि तब तक चीफ इंजीनियर के कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों में ठेकेदारों की मारपीट की घटना कैद हो चुकी थी।

मारपीट की जानकारी पर सचिव ने दोनों पक्षों को एलडीए चौकी और फिर गोमतीनगर कोतवाली भिजवाया। गोमतीनगर इंस्‍पेक्‍टर के अनुसार रात करीब नौ बजे तक किसी भी पक्ष ने तहरीर नहीं दी थी।

दूसरी ओर ठेकेदारों ने अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा को प्रार्थना पत्र देकर एक-दूसरे पर मारपीट करने का आरोप लगाया है। अपर सचिव मामले की जांच कर रहें हैं।

टेंडर से पहले काम कराना भी बना झगड़े की वजह!

ठेकेदारों के झगड़े से इंजीनियरों के टेंडर मैनेजमेंट की खेल की पोल खुलने के बाद अब एलडीए के अधिकारी खुलकर बोलने से बच रहें। बवाल की वजह बनें टेंडर के बारे में जोन चार के प्रभारी केके बंसला तो यह तक नहीं बता सके कि आखिर किसके कहने पर पुराने स्‍टोर की दीवार ठीक कराने के नाम पर जनता के दस लाख रुपए खर्च किए जा रहे थे।

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वहीं सूत्रों की मानें तो जोन चार के इंजीनियरों के इशारे पर एक ठेकेदार ने टेंडर से पहले ही स्‍टोर की दीवार मरम्‍मत का काम शुरू कर दिया था। आज वह टेंडर डाल रहा था कि बाहरी लोगों के साथ एलडीए पहुंचे दूसरे पक्ष ने उसमें अड़ंगा लगा दिया। पैसा फंसता देख ठेकेदारों में भिड़त हो गई।

इस मामले में चीफ इंजीनियर इंदू शेखर सिंह का कहना है कि एक टेंडर के चलते ठेकेदारों में मारपीट हुई थी। 13 सामान्‍य निविदाओं को निरस्‍त कर दिया गया है। भविष्‍य में सभी कामों के ईं टेंडर होगें। ठेकेदारों ने जो मारपीट की है उसकी वीडियो फुटेज मैने देखी है। इनकी कंपनियों को ब्‍लैक लिस्‍ट करने के साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।

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ट्रिक से 30-40 लाख के काम का हो रहा ई-टेंडर!

कहा यह भी जा रहा है कि कुछ शातिर इंजीनियर अपने व चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए 30 से 40 लाख रुपए तक के कामों का टेंडर भी डिब्‍बे वाली प्रक्रिया से पास करा ले रहें हैं। इसके लिए बड़े कामों की दस लाख के अंदर की तीन से चार फाइलें बनाई जा रही। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में एलडीए में सबसे ज्‍यादा नौ लाख से ज्‍यादा व दस लाख से कम धनराशि के टेंडर कराए गए हैं।

क्‍या कहते हैं नियम

कार्य की गुणवत्‍ता बनाए रखने व एलडीए समेत यूपी के तमाम सरकारी विभागों में भ्रष्‍टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पूर्व में ही योगी सरकार ने एक लाख से ज्‍यादा के कामों का ई टेंडर कराने का आदेश जारी किया था। हालांकि आदेश के तहत विशेष परिस्थितियों व इमरजेंसी के दस लाख के अंदर के कामों को सामान्‍य निविदा के तहत कराया जा सकता है। इसी का फायदा उठाते एलडीए में दस लाख तक के सामान्‍य कामों का भी डब्‍बे वाली प्रक्रिया के तहत टेंडर कराए जाने का खुलासा हुआ है।

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ठेकेदार की लड़ाई के संबंध में पुलिस को लिखित में जानकारी दी जा रही है। मेरे स्‍तर से दस लाख रुपए से कम के काम के टेंडर की स्‍वीकृति नहीं दी जाती है। टेंडर प्रकिया में गड़बड़ी हुई है तो इसकी जांच कराई जाएगी। साथ ही सामान्‍य निविदा वाले टेंडर खोलने पर भी रोक लगा दी गयी है।   अक्षय त्रिपाठी, एलडीए वीसी