आरयू ब्यूरो, लखीमपुर खीरी/लखनऊ। लखीमपुर खीरी में तिकुनिया पुलिस ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और 14 अन्य के खिलाफ लखीमपुर खीरी में हत्या और हिंसा भड़काने के आरोप में यूपी पुलिस ने धारा 302, 120बी और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। ये एफआइआर बहराइच नानपारा के जगजीत सिंह की तहरीर पर दर्ज की गई हे। वहीं सोमवार को मृतकों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। घटना में जान गंवाने वालों में चार किसानों के अलावा एक पत्रकार व कारचालक और बीजेपी कार्यकर्ता शामिल हैं।
मिली जानकारी के अनुसार रविवार की हिंसा के बाद से लापता एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप का शव सोमवार को मुर्दाघर में मिला, जिसमें चार किसानों सहित मरने वालों की संख्या नौ हो गई। संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के लखीमपुर खीरी के एक गांव में जाने का विरोध कर रहे किसानों को आशीष मिश्रा की गाड़ी ने कुचलकर मारा है।
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दरअसल रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे केशव प्रसाद मौर्या और अजय मिश्र लखीमपुर में जिला मुख्यालय में योजनाओं के शिलान्यास का काम खत्म कर बनवीरपुर गांव के लिए रवाना हुए। जिसका स्थानीय किसानों ने मंत्री अजय मिश्र का विरोध किया। किसानों का आरोप है कि जब मंत्री अजय मिश्रा का काफिला उप मुख्यमंत्री को लेने जा रहा था तो तीन गाड़ियों ने तेजी से भीड़ पर चलाकर किसानों को कुचलना शुरू कर दिया, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गयी, जबकि दर्जनों घायल हो गए।
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किसान नेताओं का आरोप है कि मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा भी उस वक्त गाड़ी में मौजूद था और उसने एक किसान को गोली भी मारी। प्रदर्शन में शामिल और हादसे के चश्मदीद संयुक्त मोर्चा के सदस्य पिंडर सिंह सिद्धू ने मीडिया को बताया, “सब माहौल ठीक था, क़रीब ढाई बजे अजय मिश्र का बेटा कुछ गुंडों के साथ आया और जो किसान वहां अपने झंडे लेकर घूम रहे थे उन पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी। उनके लड़के ने गोली भी चलाई।
विरोध का क्या था कारण
दरअसल कुछ दिन पहले लखीमपुर के सम्पूर्णानगर के एक किसान सम्मेलन में मंत्री अजय मिश्र मंच से किसानों को धमकाते नज़र आये थे। उन्होंने काले झंडे दिखाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था, ” मैं केवल मंत्री नहीं हूं या सांसद विधायक नहीं हूं, जो मेरे सांसद और विधायक बनाने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं, जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जायेगा, यह याद रखना।” इस तरीके के तल्ख़ बयानों के बाद किसानों में ख़ासा गुस्सा था, जिसकी आग में कल किसानों को रौंदकर घी डालने का काम किया गया।