आरयू ब्यूरो, लखनऊ। तरह-तरह के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर आए दिन चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण में शुक्रवार को दो बाबूओं पर बेहद कठोर कार्रवाई की गयी है। समायोजन कराने के नाम पर एक करोड़ की वसूली, प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री व अन्य मामलों में दोषी पाए गए बाबू मुसाफिर सिंह व अजय प्रताप वर्मा को एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने प्रधिकरण व जनहित में बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए बाबू पर विभिन्न थानों में जालसाजी और अत्महत्या के लिए उकसाने के मुकदमें भी दर्ज है। जांच में दोनों बाबूओं के दोषी पाए जाने के बाद उपाध्यक्ष द्वारा की गयी इस बड़ी कार्रवाई से प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री-समायोजन व भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में लिप्त बाबूओं के साथ अन्य कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।
अजय प्रताप वर्मा पर गोमतीनगर कोतवाली में विभिन्न योजनाओं में प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री के करीब आधा दर्जन से अधिक मुकदमें दर्ज है, हालांकि इसके बाद भी गोमतीनगर पुलिस दो साल से उसे ढूंढ नहीं पा रही है। पिछले दिनों भी एलडीए ने अजय प्रताप वर्मा पर गोमतनगर के प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कराने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं मुसाफिर सिंह पर चारबाग जीआरपी कोतवाली में आत्महत्या के लिए उकसाने व जालसाजी की धाराओं में एफआइआर दर्ज है। जीआरपी मुसाफिर सिंह को न्यायिक हिरासत में जेल भेज चुकी है।
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अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात अजय वर्मा पर गोमती नगर के वास्तु खंड स्थित भवन संख्या-3/710 के निरस्तीकरण की सूचना न देने तथा उक्त भवन की पत्रावली संबंधित बाबू अमित कुमार को चार्ज में न देने व परोक्ष रूप से अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा देते हुए प्राधिकरण को आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप लगे थे, जिस पर उसे जुलाई 2020 में निलंबित किया गया था।
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इसके बाद अजय वर्मा द्वारा गोमती नगर के वास्तु खंड में स्थित अलग-अलग प्लॉट व भूखंड के संदर्भ में अन्य व्यक्तियों का नाम बिना अनुमति के कम्प्यूटर पर मृतक लोगों की आइडी का प्रयोग करके अंकित कराने का मामला सामने आया था। इस मामले में उसके खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में मुकदमें भी दर्ज कराए गए थे।
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अपर सचिव ने बताया इसके अलावा एलडीए के विधि अनुभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत मुसाफिर सिंह द्वारा एक प्लॉट का समायोजन कराकर रजिस्ट्री कराने के नाम पर बैजनाथ से 55 लाख रूपये व उसके साथी राकेश चन्द्र से 45 लाख रूपये अनैतिक रूप से लिये गये थे। लेकिन, एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मुसाफिर सिंह द्वारा जमीन का समायोजन नहीं कराया गया। बैजनाथ व राकेश चन्द्र द्वारा अपना पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर सिंह ने इनकार कर दिया। मुसाफिर सिंह द्वारा किये गये इस कृत्य से हुयी मानसिक व आर्थिक परेशानी के चलते बैजनाथ ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली, जिस पर मुसाफिर सिंह के खिलाफ जीआरपी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था। उक्त प्रकरण में कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह को निलंबित करते हुए विभागीय जांच प्रचलित की गयी थी।
ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि विभागीय जांच में दोषी पाये जाने पर कनिष्ठ लिपिक अजय वर्मा व कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह को उपाध्यक्ष ने सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
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दो अन्य बाबू भेजे गए विधि, स्टोर हुआ लिपिक विहीन
दो बाबूओं को बर्खास्तगी के साथ ही आज दो अन्य बाबूओं के पटल भी बदले गए हैं। अधिष्ठान में संबद्ध रहने के साथ ही जनसंपर्क अनुभाग में काम करने वाले बाबू समीर मिश्रा को विधि अनुभाग में तैनाती दी गयी है। इसके अलावा कुछ महीने पहले ही स्टोर अनुभाग में तैनाती पाने वाले बाबू गोपाल सिंह को भी वहां से हटाकर विधि अनुभाग भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए तीन साल में पटल परिवर्तन करने के शासनादेश के क्रम में समीर मिश्रा व गोपाल सिंह को पिछले साल जून में स्टोर अनुभाग में तैनात किया गया था, जबकि वहां करीब 14 साल से जमे बाबू रुपेश कुमार को स्टोर से हटाकर प्रचार अनुभाग भेजा गया था। समीर मिश्रा को कुछ दिन पहले व गोपाल सिंह के आज हटाए जाने के बाद काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाला स्टोर अनुभाग फिलहाल बाबू विहीन हो गया है।