आरयू वेब टीम।
प्रधानमंत्री ने आज 40वीं बार मन की बात में लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नारी पूरे समाज को एकता के सूत्र में बांधती है। इसलिए नारी को शक्ति का दर्जा दिया गया है। हमारे देश में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को याद करते हुए कहा कि कल्पना ने महिलाओं की उड़ान को एक नई दिशा दी है। पीएम ने कहा कि नारी शक्ति हमेशा हमें प्रेरणा देती रही है। पुराणों में कहा गया है कि एक महिला दस पुरुषों के बराबर होती है।
महिला सशक्तीकरण का जीता जागता उदाहरण मुंबई के माटुंगा रेलवे स्टेशन पर देखने को मिलता है जहां पर केवल महिला कर्मचारी हैं। महिलाएं देश का गौरव बढ़ा रही हैं। छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं ने ई रिक्शा चलाकर आत्मनिर्भर बनकर दिखाया है। स्वरोजगार ने उन्हें सशक्त बनाया है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से हमारे देश में महिलाओं का सम्मान, उनका समाज में स्थान और उनका योगदान, पूरी दुनिया को अचंभित करता आया है। भारतीय विदुषियों की लम्बी परम्परा रही है। वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में भारत की बहुत-सी विदुषियों का योगदान रहा है। इस दौरान मोदी ने संस्कृत का सलोक सुनाते हुए बताया कि एक बेटी दो बेटों के बराबर है और दस बेटों से जितना पुण्य मिलेगा, एक बेटी से उतना ही पुण्य मिलेगा।
महिलाओं की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि वूमेन अचिवर्स ने ‘फर्स्ट लेडिज’ पुस्तक भी तैयार की, ताकि पूरा देश इन नारी शक्तियों के बारे में जाने, उनके जीवन और उनके कार्यों से प्रेरणा ले सके। वहीं मन की बात में प्रधानमंत्री ने केरल की आदिवासी महिला लक्ष्मी कुट्टी को याद कर बोले कि उन्होंने पांच सौ हर्बल दवाई बनाई है। सांप काटने के बाद उपयोग में लाए जाने वाली दवाई बनाने में लक्ष्मी कुट्टी को महारत हासिल है।
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इस दौरान पीएम ने महात्मा गांधी की पुण्य तिथि 30 जनवरी का जिक्र करते हुए कहा कि हम इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं। चाहे भारत हो या दुनिया, चाहे व्यक्ति हो परिवार हो या समाज-पूज्य बापू जिन आदर्शों को ले करके जिए, पूज्य बापू ने जो बातें हमें बताई, वे आज भी अत्यंत रिलेवैंट हैं।
वहीं पद्म सम्मान पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब सामान्य लोगों को भी पद्म दिए जा रहे हैं। पिछले तीन सालों में पद्म सम्मान चुनने की प्रक्रिया को बदल दिया गया। अब पद्म सम्मान के लिए व्यक्ति नहीं उसके काम की पहचान जरूरी।
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