आरयू इंटरनेशनल डेस्क। यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जम्मू-कश्मीर के हालातों का जायजा लेने को लेकर ब्रिटेन के वरिष्ठ नेता क्रिस डेविस ने दावा किया कि कश्मीर के दौरे पर गये यूरोपीय संघ (ईयू) के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के लिये उन्हें दिये गये न्यौते को भारत सरकार ने बहुत संक्षिप्त स्पष्टीकरण के साथ वापस ले लिया है। साथ ही ब्रिटिश नेता ने यह भी दावा किया है कि न्यौता उनसे इसलिए कैंसिल लिया गया क्योंकि, उन्होंने पुलिस सुरक्षा के बिना व मीडिया के साथ स्थानीय लोगों से बात करने की मांग की थी।
अपनी कार्रवाई की वास्तविकता छिपाने की कोशिश कर रही सरकार
यूरोपीय संसद के लिबरल डेमोक्रेट सदस्य क्रिस डेविस ने मीडिया से कहा है कि भारत सरकार के इस फैसले से यह प्रदर्शित होता है कि वह ‘अपनी कार्रवाई की वास्तविकता’ छिपाने की कोशिश कर रही है और प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता को बाधित कर रही है। डेविस की 27 से 30 अक्टूबर के बीच के दौरे के लिये न्यौते को वापस ले लिया गया। क्रिस डेविस ने आगे कहा, ‘मैं मोदी सरकार के लिये प्रचार हथकंडे का हिस्सा बनने के लिये तथा सब कुछ ठीक-ठाक है, यह बताने के लिये तैयार नहीं हूं। यह बहुत स्पष्ट है कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कश्मीर में तार-तार किया जा रहा है और विश्व को इसका संज्ञान लेना शुरू कर देना चाहिए।’
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क्रिस डेविस का दावा है कि बहुत संक्षिप्त स्पष्टीकरण के साथ न्यौता वापस ले लिया गया, क्योंकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि उन्हें स्थानीय लोगों से बात करने की छूट मिले। उनके साथ पुलिस या सुरक्षा बल नहीं हो और बगैर पूछताछ किये पत्रकारों को बुलाया जाए।
…वे चाहते हैं कि अपने रिश्तेदारों से कर पाएं बात
उन्होंने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘भारत सरकार के पास छिपाने के लिये ऐसा क्या है? वह पत्रकारों और आगंतुक नेताओं को स्थानीय लोगों से बात करने की आजादी क्यों नहीं दे रही? मैं इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र के हजारों लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिनके परिवार का कश्मीर से जुड़ाव है। वे चाहते हैं कि वे अपने रिश्तेदारों से मुक्त रूप से बात कर पाएं। वे चाहते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए। सरकार लोगों की स्वतंत्रता छीन कर और सैन्य शासन थोप कर उनके दिलो-दिमाग को नहीं जीत सकती।’
गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिनों के दौरे पर मंगलवार को श्रीनगर पहुंचा है। इस दल में मुख्य रूप से 27 सांसद थे। इनमें से ज्यादातर धुर दक्षिणपंथी या दक्षिणपंथी दलों से हैं, लेकिन उनमें से चार कश्मीर के दौरे पर नहीं गये हैं और बताया जाता है कि वे अपने-अपने देश लौट गये।
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यहां बता दें कि सोमवार को यूरोपीय संसद के सदस्यों ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिस दौरान उन्होंने आशा जताई कि जम्मू-कश्मीर सहित देश के विभिन्न हिस्सों की उनकी यात्रा सार्थक होगी। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को भारत सरकार द्वारा समाप्त किये जाने के दो महीने बाद डेविस को भारतीय अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा करने का कथित न्यौता दिया था।