गिरधारी एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने DCP व इंस्‍पेक्‍टर समेत अन्‍य पुलिसकर्मियों पर दिया मुकदमा दर्ज करने का आदेश

गिरधारी एनकाउंटर

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। हाल ही में किए गए कन्हैया विश्‍वकर्मा उर्फ गिरधारी के एनकाउंटर के मामले में पुलिस फंसती नजर आ रही है। गुरुवार को कोर्ट ने एनकाउंटर में भूमिका निभाने वाले डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन व प्रभारी निरीक्षक विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया है।

आज सीजेएम सुशील कुमारी ने इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश इंस्पेक्टर हजरतगंज को दिया है। साथ ही कोर्ट ने एफआइआर की प्रति सात दिन में अदालत में प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है।

कोर्ट ने तर्क देते हुए कहा है कि चूंकि, कन्हैया के खिलाफ दर्ज मामले की विवेचना सहायक पुलिस आयुक्‍त हजरतगंज कर रहे हैं। इसलिए हजरतगंज कोतवाली में ही एफआइआर दर्ज कराना न्यायोचित है।

अदालत ने यह आदेश आजमगढ़ के वकील सर्वजीत यादव की अर्जी पर दिया है। दरअसल, 22 फरवरी को इस अर्जी पर वकील आदेश सिंह व प्रांशु अग्रवाल ने बहस की थी। अर्जी में पुलिसकर्मियों पर गिरधारी की हत्या का आरोप लगाया गया था। यह भी कहा गया है कि हत्या के जुर्म से बचने के लिए कुछ मिथ्या लेखन कर सरकारी दस्तावेज भी तैयार किए गए हैं। लिहाजा, इनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया जाए। अदालत ने इस अर्जी पर थाना विभूतिखंड से आख्या तलब करने का आदेश दिया था।

वहीं दूसरी ओर कोर्ट में भेजी गई पुलिस आख्या में इस अर्जी को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा गया था कि इस घटना के संदर्भ में संबधित थाने में एफआइआर दर्ज है। इसलिए दूसरा मुकदमा अनुमन्य नहीं है। यह भी कहा गया था कि शासकीय दायित्वों के निर्वहन में किए गए कार्य की बाबत अभियोजन स्वीकृति के बिना अदालत इस अर्जी पर संज्ञान नहीं ले सकती।

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सुनवाई के दौरान सर्वजीत यादव के वकील आदेश सिंह व प्रांशु अग्रवाल ने पुलिस की इस दलील का विरोध किया। उन्होंने विधि व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि गिरधारी की मौत के संदर्भ में पुलिस टीम के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं हुई है। दोनों एफआइआर गिरधारी के खिलाफ हैं। यह भी तर्क दिया कि किसी घटना के संदर्भ में दूसरी एफआइआर दर्ज करने पर कोई रोक नहीं है। अभियोजन स्वीकृति भी आवश्यक नहीं है।

गौरतलब है कि मऊ के ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की छह जनवरी को विभूतिखंड के कठौता चौराहे के पास गैंगवार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अजीत के साथी मोहर सिंह ने गिरधारी, आजमगढ़ जेल में बंद कुंटू सिंह और बरेली जेल में बंद अखंड सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। गिरधारी को लखनऊ पुलिस तिहाड़ जेल से राजधानी लाई थी। पुलिस ने तीन दिन के लिए गिरधारी को रिमांड पर लिया था। 15 फरवरी की भोर में पुलिस गिरधारी को असलहा बरामद करने के लिए लेकर जा रही थी। पुलिस का दावा है कि गिरधारी ने एक दारोगा की पिस्टल छीनकर पुलिसकर्मियों पर गोली चलते हुए भागने की कोशिश की थी। जवाबी फायरिंग में गिरधारी की मौत हो गई थी।

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