आरयू स्पेशल, लखनऊ। आए दिन भ्रष्टाचार-मनमानी के चलते चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है। जालसाजों ने एक बार फिर गोमतीनगर के 22 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कराने के साथ ही कुछ साल पहले उन्हें बेच भी दिया, लेकिन अफसरों को भनक तक नहीं लगी। करीब 11 महीने पहले यह मामला सामने आने के बाद भी एलडीए के जिम्मेदार अधिकारियों ने आज तक न तो इस मामले में एफआइआर कराई और न ही गोमतीनगर के विकल्प व वास्तु समेत छह खंडों की प्राइम लोकेशन पर स्थित अपने इन 22 प्लॉटों पर कब्जा ही लिया।
ऐसे हालात तब है जब गोमतीनगर व गोमतीनगर विस्तार समेत विभिन्न योजनाओं के मूल आवंटी पूरा पैसा जमा करने के सालों बाद भी अपने प्लॉट पर कब्जे के लिए अधिकारियों के सामने जनता अदालत से लेकर उनके कार्यालय तक में हाथ जोड़े मिन्नतें करते नजर आते है, लेकिन अफसर एलडीए के पास प्लॉट ही नहीं होने की बात कह उन्हें पैसा वापस लेने की राय देने में जरा भी झिझक नहीं महसूस कर रहें। एलडीए के परेशान आवंटियों के प्रति ऐसी बेबाकी दिखाने वाले अधिकारियों की फर्जी रजिस्ट्री करने वालों जालसाजों के प्रति दरियादिली सामने आने के बाद उनकी मंशा और क्षमता पर ढेरों गंभीर सवाल उठ रहें।
11 महीने में भूखंड देखने तक का नहीं मिला समय
शासन की ओर से एलडीए में पोस्ट अफसरों की लंबी फौज विभाग की संपत्ती के प्रति कितनी गंभीर है या फिर यह कहें कि जालसाजों पर कितनी मेहरबान है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि 11 महीना बीतने के बाद आज तक अफसर से लेकर इंजीनियर तक यह देखने की भी फुर्सत नहीं निकाल पाएं कि इन 22 प्लॉटों की मौके पर स्थिति क्या है।
अपर सचिव ने भेजे कई पत्र, एक्सईएन ने नहीं कराया सर्वे
मामला खुलने के बाद इंजीनियर व अधिकारियों के बीच आपसी तालमेल की भी कमी सामने आयी है। अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि 22 भूखंडों की मौके की स्थिति जानने के लिए बीते महीनों में कई बार जोन एक के एक्सइएन अवनींद्र कुमार सिंह को पत्र लिखा जा चुका है। रिमाइंडर भी भेज गए हैं, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आयी। मामले को वीसी के सामने रखा जाएगा।
दूसरी ओर एलडीए में प्रभावशाली अधिशासी अभियंता कहे जाने वाले एके सिंह का तर्क है कि अपर सचिव की ओर से जब-जब पत्र आया उस समय जोन एक में जेई की कमी के चलते सर्वे नहीं कराया जा सका था। अब इंजीनियर आ गए हैं फिर से पत्र आने पर भूखंडों का सर्वे कर रिपोर्ट भेजी जाएगी।
अक्षय त्रिपाठी के जाते ही दबा दिया मामला!
सूत्रों के अनुसार फर्जी रजिस्ट्री मामल में छानबीन कर बीते जून में ही जानकारी जुटा ली गयी थी। 22 में से 17 का रिकॉर्ड एलडीए की वेबसाइट और आठ भूखंड का रिकॉर्ड डिस्पोजल रजिस्टर पर भी दर्ज मिला था। प्लॉटों की फर्जी डिटेल एलडीए की वेबसाइट पर दर्ज करने वाले पूर्व में भी चर्चित रहे शातिर बाबूओं व कई अन्य के नाम भी सामने आए थे। फर्जी रजिस्ट्री भी लगभग उसी अंदाज में की गयी, जैसे गोमतीनगर के 13 प्लॉटों की जालसाजों ने पहले कराई थी। इससे साफ हो रहा था कि फर्जी रजिस्ट्री के तार कहीं न कही एक ही गैंग से जाकर जुड़ेगे। एफआइआर की तैयारी पूरी हो रही थी कि जून में एकाएक तत्कालीन वीसी अक्षय त्रिपाठी का ट्रांसफर हो गया, जिसके बाद इस पूरे मामले को दबा दिया गया।
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इंद्रमणि त्रिपाठी मामले से ही अंजान
दूसरी ओर अक्षय त्रिपाठी के बाद व करीब सौ दिन पहले एलडीए वीसी की कुर्सी संभालने वाले डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी को प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कराने की जानकारी ही नहीं है। पूछे जाने पर उपाध्यक्ष ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा है कि उनके संज्ञान में मामला नहीं आया है। जल्द ही इसकी पूरी डिटेल संबंधित अधिकारी से लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विभाग की छवि धूमिल करने, आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों के साथ ही एलडीए की संपत्ति को भी इस तरह से बिल्कुल नहीं छोड़ा जा सकता।
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ओएसडी बोले, बाकी डिटेल मिलते ही दर्ज होगा मुकदमा
वहीं गोमतीनगर योजना प्रभारी ओएसडी अमित राठौर का कहना है कि जालसाजों पर एफआइआर कराने के लिए उप निबंधक कार्यालय से 22 प्लॉटों के रजिस्ट्री की डिटेल मांगी गयी थी। कुछ भूखंडों की डिटेल मिलना बाकी है, उसके मिलते ही मुकदमा दर्ज करा कब्जा लेने से संबंधित कार्रवाई की जाएगी।
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यह था मामला-
बताते चलें पिछले साल नवंबर में शिकायत मिलने पर एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार ने मामले की जांच कराई थी। जिसमें 40.50 से 300 वर्ग मीटर तक के इन 22 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री की बात साफ हुई थी। इनमें सबसे ज्यादा विकल्प खंड के छह, वास्तु खंड के पांच, विनम्र व विराज खंड के चार-चार, विराट खंड के दो, जबकि विक्रांत खंड का एक प्लॉट शामिल है। इनकी मार्केट वैल्यू करीब 30 करोड़ रुपये के आसपास आंकी गयी थी। इनमें अधिकतर प्लॉट 112.50 वर्ग मीटर वाले हैं।
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इन प्लॉटों की हुई फर्जी रजिस्ट्री-
विकल्प खंड- 3/138, 2/387-ए, 2/387-बी, 2/387-सी, 3/372, 2/377-ए,
वास्तु खंड- 3/521, 3/564, 3/583, 3/358, 3/360,
विनम्र खंड- 1/275, 1/327, 3/222-ए, 3/250,
विराज खंड- 2/80, 2/81, 2/63-एच, 3/154,
विराट खंड- 1/138, 3/270-ए,
विक्रांत खंड- 3/262-ए ।