अवैध निर्माण पर लगाम कसने के लिए एलडीए ने मांगा आर्किटेक्ट से सहयोग, नक्‍शे के विपरीत निर्माण होने पर भी देनी होगी सूचना

आर्किटेक्ट से सहयोग
इंजीनियरों के साथ बैठक करते एलडीए वीसी।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ की तेजी से सूरत बिगाड़ने के साथ ही एलडीए की किरकिरी कराने वाली अवैध निर्माण की समस्‍या से निपटने के लिए अब एलडीए उपाध्‍यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने आर्किटेक्‍टों से सहयोग मांगा है। पास नक्‍शे के विपरीत निर्माण होने पर आर्किटेक्‍टों को भी इस बारे में एलडीए को सूचना देनी होगी। आज इस बारे में आर्किटेक्‍टों के अलावा मानचित्र सेल के इंजीनियरों के साथ बैठक करते हुए वीसी ने निर्देश जारी किए हैं।

बैठक करते हुए वीसी ने कहा कि एलडीए के नियोजित क्षेत्र में अब अगर स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण हुआ तो प्रवर्तन अनुभाग के साथ ही संबंधित आर्किटेक्ट व इंजीनियर की भी जवाबदेही तय की जाएगी। साथ ही उपाध्‍यक्ष ने नियोजित विकास के लिए आर्किटेक्ट्स से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि वे लोगों को भू-उपयोग व मानचित्र के मुताबिक निर्माण कराने की दिशा में प्रोत्साहित करें।

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बैठक में उपाध्यक्ष ने स्पष्ट संदेश दिया कि नक्शे के लिए आवेदन करके स्थल पर निर्माण शुरू कराने का खेल नहीं चलेगा। इसके लिए मानचित्र अनुभाग से सूची प्राप्त करके स्थल की नियमित निगरानी की जाएगी।

उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर निर्माणकर्ता द्वारा स्वीकृत मानचित्र के विपरीत या भू-उपयोग के विपरीत आवासीय में व्यवसायिक निर्माण कराया जा रहा है तो संबंधित आर्किटेक्ट की जिम्मेदारी है कि वह उसे नियम व शर्तों की जानकारी देते हुए अवैध निर्माण करने से रोके। अगर इसके बाद भी अगर निर्माणकर्ता अवैध निर्माण कराता है तो आर्किटेक्ट को उसकी सूचना एलडीए को देनी होगी। उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इसके लिए ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम (ओबीपीएस) पोर्ट्ल पर अलग से एक विंडो दिया जाए, जिसमें आर्किटेक्ट निर्माण के बारे में अपनी टिप्पणी अंकित कर सकेंगे।

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बैठक के दौरान उपाध्यक्ष द्वारा मानचित्र के लंबित प्रकरणों की भी समीक्षा की गयी। इसमें पाया गया कि ज्यादातर प्रकरणों में भू-उपयोग के विपरीत नक्शा दाखिल करने से नक्शा स्वीकृत नहीं हो रहा। इसके अलावा काफी मामलों में जमा किये गये मानचित्र में आर्किटेक्ट द्वारा बाद में संशोधन किये जाने से प्रकरण लंबित है। इस पर उपाध्यक्ष ने आर्किटेक्टों को निर्देशित किया कि वह अपने सभी लंबित प्रकरणों की स्वतः समीक्षा करते हुए वर्तमान स्थिति से अवगत कराएं।

इस मौके पर उपाध्यक्ष ने आर्किटेक्टों की समस्याएं भी सुनी, जिनमें ज्यादातर शिकायतें ओबीपीएस सॉफ्टवेयर से जुड़ी थीं। जिसपर वीसी ने इन सभी समस्याओं को सूचीबद्ध करते हुए निस्तारण के लिए शासन के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

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साथ ही इंद्रमणि त्रिपाठी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि महीने के प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे तक आर्किटेक्टों के लिए विशेष हेल्प डेस्क संचालित कराएं, जिसमें आर्किटेक्ट को जानकारी देने के साथ ही उनकी समस्याओं का निस्तारण भी हो। आर्किटेक्टों ने उपाध्यक्ष के इस निर्णय का स्वागत किया साथ ही आर्किटेक्ट एसोसिएशन द्वारा अपने दो प्रतिनिधियों को हेल्प डेस्क में शामिल करने पर सहमति जतायी।

नक्‍शा पास कराने के लिए वीसी ने भी किया फोन

आज समीक्षा में यह भी उजागर हुआ कि कई मामले ऐसे हैं, जिनमें मानचित्र फौरन पास हो सकता है, लेकिन संबंधित आवेदनकर्ता द्वारा शुल्कों का भुगतान नहीं करने से नक्‍शा नहीं पास हो पा रहा है। इसके चलते पोर्टल पर लंबित प्रकरणों की लिस्‍ट भी अनावश्यक रूप से बढ़ती जा रही है। इस पर उपाध्यक्ष ने आर्किटेक्टों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्लाइंट्स से संपर्क कर उन्हें फीस जमा कर नक्‍श पास कराने के लिए प्रोत्साहित करें। इसी क्रम में आज वीसी ने खुद भी  आवेदनकर्ताओं को फोन मिलाकर बात की और शुल्क जमाकर नक्शा स्वीकृत कराने के लिए प्रोत्साहित किया।

बैठक में अपर सचिव/प्रभारी मुख्य नगर नियोजक ज्ञानेंद्र वर्मा, एक्‍सईएन मानचित्र संजय जिंदल समेत अन्‍य इंजीनियर व अर्किटेक्ट मौजूद रहें।