आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। अवैध निर्माण पर अधिकारियों की मेहरबानी और कार्रवाई नहीं होने के चलते बेलगाम हो चुके एलडीए के इंजीनियरों की कारस्तानी के चलते आज राजधानी लखनऊ की पॉश कालोनी गोमतीनगर के हुसड़िया चौराहे के पास एक बड़ी घटना हो गयी। यहां ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद भी ढाई साल से भाजपा नेता की जिस तीन मंजिला अवैध बिल्डिंग को इंजीनियर बचा रहे थे, आज दोपहर उसके एकाएक ढह जाने से हड़कंप मच गया है।
वहीं बिल्डिंग ढहने के बाद शॉर्टसर्किट के चलते बगल में स्थित एक मकान में आग लगने से लाखों रुपए के सामान भी जलकर नष्ट हो गए। सूचना पाकर मौके पर पहुंचें फॉयर ब्रिगेड के जवानों ने करीब घंटें भर की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
दूसरी ओर अवैध बिल्डिंग गिरने की जानकारी पर पुलिस, प्रशासन, एलडीए, नगर निगम के अधिकारियों के अलावा राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंचने के बाद देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हुई थी।
वहीं बिल्डिंग गिरने की वजह घटिया बिल्डिंग मेटेरियल और मानकों को दरकिनार कर निर्माण कराने की बात सामने आ आयी है। जबकि दो लोगों के घायल होने की भी बात कही जा रही है। इसके अलावा तीन मंजिला इमारत के मलबे के नीचे मजदूरों व अन्य लोगों के दबे होने की आशंका देर रात तक जतायी जाती रही। जिससे अधिकारी भी इंकार नहीं कर रहे थे।
बताया जा रहा है कि गोमतीनगर के विजय खण्ड निवासी निवासी भाजपा नेता अशोक कुमार पाण्डेय के बेटे हर्षित पाण्डेय के नाम एलडीए ने 1998 में विराम खण्ड पांच के भवन संख्या 21 को आवंटित किया था।
आवासीय प्लॉट पर दुकान व शोरूम खोलने व मानकों को दरकिनार कर उसी भवन पर निर्माण होने के चलते एलडीए के तत्कालीन विहित प्राधिकारी ने इसे गिराने का आदेश 10 मई 2016 को दिया था। उसके बाद से लगातार एलडीए के अधिकारियों की ढिलाई के चलते इंजीनियर अवैध बिल्डिंग को बचाने में लगे थे, लेकिन आज दोपहर करीब दो बजे एकाएक बिल्डिंग के गिरने के चलते एलडीए के अधिकारियों के साथ ही इंजीनियरों के हाथ-पैर फूल गए।
आग लगी तो जान बचाकर भागे लोग, लाखों का सामना जला
बिल्डिंग गिरने के कुछ ही मिनटों बाद उसके ठीक बगल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बी. एल. रस्तोगी के मकान के निचले हिस्से में भी शॉर्टसर्किट के चलते आ लग गयी। बी. एल. रस्तोगी के बेटे सोमेंद्र रस्तोगी ने बताया कि नीचे के तीन कमरों को किराए पर लेकर संतोष मोदी ने प्रापर्टी डीलिंग का ऑफिस खोला था।
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घटना के समय वहां करीब दर्जनभर लोग मौजूद थे। बिल्डिंग गिरने की आवाज और आग लगने के चलते लोग ऑफिस छोड़कर बाहर भाग निकले। जबकि मकान के ऊपरी हिस्से में उनका परिवार रह रहा था वो भी दहशत के चलते बाहर निकल आया। वहीं बिल्डिंग का मलबा गिरने से उनके मकान के ऊपर का हिस्सा भी क्षतिग्रसत हो गया है।
कार्यालय संचालक संतोष मोदी ने बताया कि आग से ऑफिस में रखा फर्नीचर, लैपटॉप, कम्प्यूटर व एसी समेत अन्य सामान जलकर पूरी तरह से राख हो गया। संतोष मोदी का कहना था कि आग से करीब छह लाख रुपए की क्षति हुई है।
बीजेपी नेता ने किया दावा, दो साल से बंद थी बिल्डिंग
घटना के बाद मौके पर पहुंचे भाजपा नेता अशोक कुमार पाण्डेय ने खुद को बिल्डिंग मालिक बताते हुए दावा किया कि पहले इस बिल्डिंग में दुकानें व ऑफिस थे, लेकिन अब सिर्फ उनका बोर्ड और नाम ही यहां रह गया था। पिछले दो साल से इसमें कोई नहीं रह रहा था। घटना के समय बिल्डिंग में ताला भी बंद था।
घंटों देर से शुरू हुई कार्रवाई, लोगों में गुस्सा
वहीं बिल्डिंग गिरने के बाद अधिकारी भवन के बचे हिस्से को गिराने और मलबा हटाने की जुगत में ही घंटों सिर खपाते रहें। दूसरी ओर कई घंटे बाद भी राहत व बचाव कार्य व्यापक स्तर पर शुरू नहीं होने से मौके पर जमा लोग आक्रोशित हो गए।
उनका कहना था कि सत्ताधारी नेता की बिल्डिंग होने के चलते अधिकारी मलबा नहीं हटा रहें हैं, जबकि बिल्डिंग गिरने के समय मौके पर काम करने वाले मजदूर या अन्य किसी के उसमें दबे होने की पूरी संभावना है। अधिकारी भाजपा नेता को बचाने के लिए देर रात के अंधेरे या भोर में उनकों मलबे से निकालना चाहते हैं। जनता की नाराजगी के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, हालांकि उसकी गति से लोगों में असंतोष था।
शिकायत के बाद व सचिव के निर्देश पर पिछले महीने भी गिराई जानी थी बिल्डिंग लेकिन…
इस अवैध बिल्डिंग के लिए ऐसा नहीं है कि सिर्फ ढाई साल पहले ही गिराने का आदेश हुआ था। करीब डेढ़ महीना पहले भाजपा नेता की पड़ोसी डॉक्टर परिवार से निर्माण को लेकर लड़ाई भी हुई थी। जिसके बाद गोमतीनगर कोतवाली में दोनों पक्ष ने एक-दूसरे पर मुकदमा भी दर्ज कराया था। सोमेंद्र रस्तोगी का आरोप था कि अशोक पांडेय उनके मकान की दीवार के सहारे अपनी बिल्डिंग बनवा रहे थे, जिसका विरोध करने पर उन लोगों ने मारपीट की थी।
जिसकी उन्होंने एफआइआर भी डेढ़ महीना पहले कोतवाली में दर्ज करायी थी, जबकि उन्होंने फर्जी तरीके से उनके पिता के खिलाफ मुकदमा लिखवाया था, लेकिन उन्होंने एफआइआर में जो समय लिखवाया था उस समय उनके पिता गोंडा में थे ये बात साफ होने के बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस से राहत नहीं मिलने पर उन लोगों ने एलडीए के उच्च अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर अवैध निर्माण पर कार्रवाई का आग्रह किया, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार डॉक्टर परिवार की शिकायत के बाद एलडीए सचिव ने बिल्डिंग गिराने के लिए जोन एक के प्रवर्तन दल के इंजीनियरों को कहा था, लेकिन इंजीनियरों ने फाइल ही दबाकर उनके आदेश को भी हवा में उड़ा दिया।
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यहां बताते चलें कि एलडीए के उच्च अधिकारी अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लाख दावे करें, लेकिन आज की इस घटना ने एक बार फिर उनकी पोल खोल दी है। हालांकि अब बड़ा सवाल ये है कि चारबाग के दो अवैध होटलों में मासूम समेत सात लोगों की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत होने के बाद भी अपना दामन बचा लेने वाले एलडीए के इंजीनियर क्या एक बार फिर इतने गंभीर मामले में खुद को बचा ले जाने में कामयाब हो जाएंगे।
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बिल्डिंग अवैध थी इसको काफी पहले ही ढहा दिया जाना चाहिए था। इसके निर्माण में लापरवाही करने के साथ ही मानकों के अनदेखी करने की बात सामने आयी है। साथ ही अवैध बिल्डिंग को बचान में जिस भी स्तर से लापरवाही की गयी है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंगला प्रसाद सिंह, सचिव व कार्यवाहक उपाध्यक्ष एलडीए
बिल्डिंग गिरने के समय अंदर निर्माण कार्य चल रहा था। राहत और बचाव जिस तेजी से किया जा सकता है, किया जा रहा है। मलबे में किसी के दबे होने की आशंका से फिलहाल इंकार नहीं किया जा सकता है। रेस्क्यू टीम पूरी कोशिश कर रही है कि जल्द से जल्द हालात काबू में आ जाए। अनूप कुमार सिंह, एसपी नार्थ