आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। संस्कार जीवन के दिशा निर्धारक होते हैं। यह संस्कारों पर ही निर्भर है कि कुछ लोग शिक्षित होने के बाद राष्ट्रनिर्माण की दिशा में जाते हैं और कुछ लोग पढ़े-लिखे होने के बावजूद आतंकवाद की राह पर चले जाते हैं। ज्ञान ही सब कुछ नहीं है, ज्ञान के साथ संस्कार भी चाहिए होता है। बहुत से आतंकवादी हैं जो डिग्रियां हासिल करने के बावजूद दहशतगर्द बन गए हैं।
उक्त बातें आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ स्थित एक स्कूल के वार्षिक शिक्षक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कही। इस दौरान उन्होंने मशहूर लेखक थामस फ्रीडमैन के एक लेख का जिक्र करते हुए कहा कि फ्रीडमैन ने लिखा है कि उन्हें इंफोसिस और अलकायदा के बीच अनेक समानताएं दिखायी देती हैं।
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गृहमंत्री ने लेखक रचना का जिक्र करते हुए कहा कि फ्रीडमैन लिखते हैं ‘‘इंफोसिस में भी नौजवान काम करते हैं और अलकायदा में भी। दोनों जगह पढ़े-लिखे लोग हैं। इंफोसिस में काम करने वाले युवाओं ने भी अपने जीवन का कुछ लक्ष्य बना रखा है और अलकायदा से जुड़े नौजवानों ने भी लक्ष्य तय किया है।
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दोनों का ही वैश्विक नेटवर्क है। मगर, एक की भूमिका समाज के लिए विध्वंसकारी है, जबकि इंफोसिस वाले नौजवान का किरदार समाज के लिये कल्याणकारी है। बस दोनों में संस्कारों का ही अंतर है। कार्यक्रम के विषय का जिक्र करते राजनाथ सिंह ने कहा कि 21वीं सदी में हमारा शिक्षा तंत्र कैसा हो, यह बहुत गहन चर्चा का विषय है।
शिक्षा का स्वरूप बहुत पेचीदा है, मगर भारत की प्राचीन गुरुकुल पद्धति ने ही नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसी कालजयी संस्थाएं दीं, जिनमें पढ़ने के लिए विदेश से भी स्टूडेंटस आते थे। शिक्षकों की भूमिका केवल बच्चों के चरित्र निर्माण में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण में भी है। कार्यक्रम का उद्धाटन गृह मंत्री ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान राजनाथ सिंह के साथ मेयर सयुक्ता भाटिया, स्कूल के संस्थापक व अन्य लोग मौजूद रहें।
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