आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि हाथरस कांड में भाजपा सरकार की लीपापोती नीति के विरूद्ध प्रदेश में जनाक्रोश थम नहीं रहा। इससे डर कर और अपना कृत्य छुपाने के लिए कुछ अधिकारियों को हटा जरूर दिया गया है, लेकिन न्याय की मांग है कि उन पर एफआइआर भी दर्ज की जाए। मुकदमा दर्ज होने के बाद उनसे यह सच उगलवाया जा सके कि किसके दबाव में उन्होंने आतंक फैलाया, रात में परंपरा के विपरीत दलित नवयुवती का शव क्यों जला दिया और पीड़ित परिवार को बंधक बनाकर क्यों रखा? मीडिया व विपक्षी सांसदों तक से क्यों द्रुव्यवहार किया गया? उन्हें पीड़िता के परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया?
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भाजपा सरकार ने हिंसक तरीके से दबाई है सत्य की आवाज
अखिलेश ने कल की घटना पर भी नाराजगी जताते हुए शनिवार को कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर हाथरस की बेटी के लिए हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा पर मौन व्रत रखकर बैठने जा रहे सपा के वरिष्ठ नेताओं एवं विधायकों को गिरफ्तार कर और कार्यकर्ताओं पर बर्बरता से लाठीचार्ज कर भाजपा सरकार ने सत्य की आवाज हिंसक तरीके से दबाई है। महिलाओं को गिरफ्तारी से पूर्व सड़क पर गिराकर घसीटा गया, उनके कपड़े फाड़े गए और अपमानित किया गया। यह कृत्य निन्दनीय है।
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डीएम व एसपी ने नए गैंग को दिया जन्म
साथ ही यूपी के पूर्व सीएम ने आज योगी सरकार पर हमला जारी रखते हुए कहा है कि महोबा-हाथरस की घटनाओं से लगता है प्रदेश में डीएम व एसपी ने नए गैंग को जन्म दिया है। अपराधी और पुलिस का भी गठबंधन होने लगा है। मुख्यमंत्री का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। ऐसे में कानून प्रिय जनता कहां न्याय के लिए जाए? बदले की भावना से सरकारी नीतियां निर्धारित होने से विपक्ष में विशेषकर सपा के नेताओं का उत्पीड़न हो रहा। उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। गंभीर धाराएं लगाकर जेल भेजा जा रहा, लोकतंत्र में ऐसा आचरण असंवैधानिक है।