69 हजार शिक्षक भर्ती पर HC के आदेश को केशव मौर्य ने बताया दलित-पिछड़ों की जीत

केशव प्रसाद मौर्या

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) के तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए चयन सूची को रद्द करते हुए नए सिरे से सूची बनाने के आदेश दिए हैं। इसपर अब सियासत तेज हो गई है। वहीं विपक्ष के साथ-साथ अपनों ने भी योगी सरकार को निशाने पर ले लिया है। अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये फैसला स्‍वागत करने योग्‍य है।

डिप्‍टी सीएम ने आज अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्‍यम से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, ‘शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है, जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।’

इससे पहले एकल पीठ ने 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी एवं न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने महेंद्र पाल एवं अन्य द्वारा एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दायर की गयी 90 विशेष अपीलों को एक साथ निस्तारित करते हुए नयी सूची बनाने के आदेश दिये।

पीठ ने कहा है कि नयी चयन सूची बनाते समय यदि वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाये ताकि छात्रों की पढ़ायी पर खराब असर न पड़े। उच्च न्यायालय ने मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने अपना फैसला 13 अगस्त को ही सुनाया था किन्तु उसकी प्रति वेबसाइट पर शुक्रवार को डाली गयी।

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उच्च न्यायालय ने इसी भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज करने के एकल पीठ के निर्णय में कोई हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने सरकार एवं अन्य संबंधित निकायों को आदेश दिया है कि तीन माह में नई सूची जारी करने की कार्यवाही पूर्ण कर ली जाये।

बता दें कि इस मामले में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट पर पहले से ही सवाल उठाती रही हैं। वहीं हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है।

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