फर्जी डिग्री के आधार पर प्राइमरी विद्यालयों में दस सालों से नौकरी कर रहे प्रधानाध्‍यापकों को STF ने दबोचा, जानें कैसे खुला मामला

फर्जी डिग्री
एसटीएफ के हत्थे चढ़े आरोपित।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। पिछले एक दो नहीं बल्कि दस सालों से सरकारी प्राइमरी विद्यालयों में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे दो प्रधानाध्‍यापकों को गिरफ्तार करने में शुक्रवार को लखनऊ एटीएस की टीम ने सफलता पाई है। टीम ने मुखबिर की सूचना पर बरेली जिले के बहेड़ी ब्‍लाक स्थित प्राइमरी विद्यालय भैसयां और प्राइमरी विद्यालय बरगवां के प्रधानाध्‍यापकों को गिरफ्तार करने के साथ उनके फर्जी अंक पत्र और प्रमाण पत्र भी बरामद कर लिया है। पकड़े गए फर्जी प्रधानाध्‍यापकों की पहचान हरदोई जिले के लोनार क्षेत्र निवासी उमेश कुमार और विनय कुमार के रूप में हुई है। दोनों अब तक वेतन के रूप में बेसिक शिक्षा विभाग से 40-40 लाख का गबन कर चुके थे।

घटना का खुलासा करते हुए एसएसपी एसटीएफ अभिषेक कुमार सिंह ने मीडिया को बताया दोनों के फर्जी तरीके से नौकरी करने की बात पता चलने पर सीओ एसटीएफ प्रदीप कुमार मिश्र, निरीक्षक अंजनी कुमार तिवारी व एसआइ ज्ञानेन्द्र कुमार राय को लगाया गया था।

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जिस पर एसटीएफ की टीम द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी बरेली तनुजा त्रिपाठी से दोनों सेवारत प्रधानाध्‍यापकों के चयन संबंधी शैक्षिक प्रमाण पत्र मांगकर उनका लखनऊ स्थित सत्यापन जय नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय और लखनऊ यूनिवर्सिटी से कराने पर पता चला कि दोनों फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहें हैं। जिसके बाद आज एसटीएफ की टीम ने विनय कुमार और उमेश कुमार को बरेली से गिरफ्तार कर लिया।

शिक्षक के तौर पर हुए थे भर्ती, फिर मिला प्रमोशन

एसटीएफ के अनुसार विनय और उमेश साल 2010 में बतौर शिक्षक के तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्‍त हुए थे। इसके बाद साल 2015 में प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नत कर दिए गए थे। दोनों फर्जी प्रधानाध्‍यापकों के खिलाफ बरेली के थाना बारादरी में धारा 409, 420, 467, 468 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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