आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। जनेश्वर मिश्र (जेएम) पार्क की झील में डूबकर जान गंवाने वाले मासूम कृष्णा का शव रखकर मंगलवार को परिजनों नें पार्क के गेट पर प्रदर्शन किया। परिजन हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई के साथ ही मुआवजे की मांग कर रहे थे।
सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पुलिस-प्रशासन व एलडीए के अधिकारियों ने करीब चार घंटें बाद आश्वासन देकर प्रदर्शन समाप्त कराया। वहीं इंस्पेक्टर गोमतीनगर ने बताया कि कृष्णा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह डूबना आया है।
आज दोपहर पोस्टमॉर्टम होने के बाद लगभग डेढ़ बजे परिजन व कॉलोनी के लोग कृष्णा का शव लेकर जनेश्वर पार्क के गेट नंबर एक के बाहर पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे। घटना की जानकारी पर मौके पर पहुंची क्षेत्रिय पुलिस और सीओ गोमतीनगर चक्रेश मिश्र ने उन्हें समझाकर हटाना चाहा, लेकिन परिजन एलडीए वीसी या जिलाधिकारी को बुलाने की मांग पर अड़े रहे।
पिता ने कहा जो उनके साथ हुआ ऐसा किसी और के साथ न हो
कृष्णा के पिता रामगोपाल का कहना था कि उसके बेटे को अब वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन जो भी कर्मचारी-अधिकारी बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार है उन पर कार्रवाई की जाए। ताकि जो उनके साथ हुआ ऐसा किसी और के साथ न हो इसके लिए जरूरी है कि दोषियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही परिजन चार लाख रुपए मुआवजे की मांग कर रहे थे।
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करीब दो घंटें बाद मौके पर पहुंचे एलडीए के उप निदेशक उद्यान एसपी शिशोदिया और व्यवस्थाधिकारी अशोक पाल सिंह के अलावा एसीएम चतुर्थ सलिल कुमार पटेल ने हर संभव सहायता और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन देकर प्रदर्शन समाप्त कराया।
मासूम प्रत्यक्षदर्शी ने सुनाई लापरवाही की कहानी
हादसे के बाद भले ही एलडीए अपनी कमियों को छिपाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं, लेकिन कल घटना के समय वहां मौजूद कृष्णा के पांच वर्षीय दोस्त कालू ने आज सामने आकर जो बातें मीडिया को बतायी उससे साफ हो गया कि सुरक्षाकर्मी सर्तक होते तो कृष्णा जिंदा होता। ग्वारी गांव निवासी कालू की मां घरों में झाड़ू-बर्तन करती है, जबकि बाप मजदूरी। कल दोनों के काम पर जाने के बाद कालू अपने छोटे भाई लालू व कृष्णा के साथ पार्क पहुंचा था।
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बेहद डरे-सहमे कालू ने बताया कि कल झील के किनारे तीनों थे, तभी एक गार्ड उन्हें वहां से भगाते हुए चला गया, उसके कुछ आगे जाते ही वो तीनों फिर झील की सीढ़ी पर चले गए। इसी दौरान कृष्णा पानी में जाकर बुड़ने (डूबने) लगा। तो उन लोगों ने रोना शुरू कर दिया, लेकिन वहां कोई नहीं आया तो दौड़ते हुए गेट नंबर चार पर जाकर इसके बारे में बताया, फिर गार्ड ने वहां से आकर कृष्णा को पानी से निकाला।
मौके पर होता गार्ड तो बच जाती जान
बताते चलें कि घटनास्थल से गेट नंबर चार की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है, ऐसे में मासूमों को वहां पहुंचने में कम से कम 15 मिनट लगे होंगे, जबकि सुरक्षाकर्मियों को वहां से झील तक आने में करीब दस मिनट। इन बातों से समझा जा सकता है कि यहीं 25 मिनट की देरी कृष्णा के मौत की वजह बनी।
कोहराम देख लौटे लोग
पार्क के गेट पास ही मासूम के शव पर परिजनों को रोता-पीटता देख पार्क आने वाले लोग भी गमगीन हो गए। हसनगंज निवासी उमेश मिश्रा पत्नी-बच्चों के साथ पार्क घूमने पहुंचे थे, लेकिन बाहर का माहौल देखर अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके और लौट गए। उमेश जैसे दर्जनों संवेदनशील लोग रोना-पीटना देख पार्क के अंदर जाने का प्लॉन आज कैंसिल करते दिखे।
पार्क में तैनात है पांच सौ से ज्यादा कर्मचारी-सुरक्षाकर्मी
बता दें कि जिस पार्क में हादसा हुआ वहां डेढ़ सौ सुरक्षाकर्मियों के साथ ही स्मारक समिति के करीब साढ़े तीन सौ कर्मचारी भी तैनात हैं। उद्यान अधिकारी ने बताया सुरक्षाकर्मी तीन शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं, जबकि स्मारक के कर्मचारी ऑफिस टाइम में पार्क में रहकर साफ-सफाई और पार्क की देखभाल करते हैं। इसके अलावा एलडीए के भी कर्मचारी व इंजीनियर पार्क में तैनात हैं।
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मामले की जांच के लिए अधीक्षण अभियंता पीसी पाण्डेय के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की गयी है। वो घटनास्थल पर जाने के साथ ही सभी बिन्दुओं पर जांच कर तीन से चार दिन में रिपोर्ट देंगे। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मासूम की मौत काफी दुखदायी है, मुआवजे के लिए भी प्रयास किया जाएगा। प्रभु एन सिंह, एलडीए उपाध्यक्ष
पहले मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजा राशि दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए एसडीएम सदर को पत्र लिखा गया है। साथ ही एलडीए वीसी को भी एक पत्र लिखा गया है। सलिल कुमार पटेल, एसीएम चतुर्थ