आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। एशिया के सबसे बड़े पार्क के रूप में पहचाना जाने वाले जनेश्वर मिश्र पार्क की झील सोमवार को एक हंसते-खेलते मासूम के लिए काल बन गयी। दोपहर में पैर फिसलने के चलते झील में मछली देख रहा छह साल का कृष्णा पानी में डूब गया। हादसे के वक्त उसके दो अन्य दोस्त भी वहां मौजूद थे।
उनकी चीख-पुकार सुनकर मौके पर पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने मासूम को झील से बाहर निकाला, हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं हादसे के बाद सुरक्षाकर्मियों की कार्यप्रणाली और पार्क के रख-रखाव पर सवाल उठ रहें हैं।
बताया जा रहा है कि मूल रूप से गोंडा निवासी रामगोपाल की पत्नी पुष्पा अपने दो बेटे पंकज और कृष्णा के साथ गोमतीनगर के विकास खण्ड स्थित एक खाली प्लॉट पर झोपड़ी बनाकर रहने के साथ ही घरों में झाड़ू-बर्तन कर परिवार का पेट पालती है। जबकि रामगोपाल गोंडा में ही एक अन्य बेटे के साथ रहकर नाई का काम करता है।
कॉलोनी में ही स्थित एक स्कूल में यूकेजी में पढ़ने वाला कृष्णा आज दोपहर इलाके के दो दोस्तों के साथ जनेश्वर पार्क घूमने गया था। 376 एकड़ में फैले पार्क में बोट संचालन वाली जगह से कुछ दूरी पर तीनों बच्चें खेल रहे थे। तभी कृष्णा झील की सीढ़ी पर खड़ा होकर मछली देखने लगा। इसी बीच सीढ़ी पर जमी काई की वजह से पैर फिसलने के चलते वो गहरे पानी में जाकर डूबने लगा।
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उसे डूबता देख साथ गए बच्चें शोर मचाने लगे। शोर सुनकर मौके पर पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने पानी में डूब चुके मासूम को बाहर निकाला, हालांकि तब-तक उसकी सांसे लगभग थम चुकी थी। सुरक्षाकर्मियों ने उम्मीद के साथ कृष्णा को लोहिया अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वहीं दोस्तों ने भागते हुए घटना की जानकारी कृष्णा के घर पर दी तो परिजनों में कोहराम मच गया। रोती-कलपती लोहिया अस्पताल पहुंची मां पुष्पा ने बताया कि दोपहर में वो कृष्णा को सही सलामत घर पर छोड़कर दवा लेने गयी थी, और अब उसकी लाश देखने को मिल रही है।
पुष्पा ने पार्क के प्रबंधन पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि बच्चों को कितनी समझा होती है, अगर इतना बड़ा पार्क बनाया है तो उसमें बच्चों की सुरक्षा का भी अधिकारियों को ध्यान रखना चाहिए था। अब उनके बेटे को कौन वापस लाकर देगा।
घंटों मामला दबाए रहें सुरक्षाकर्मी
पार्क सुरक्षा के लिए डेढ़ सौ सुरक्षाकर्मियों की फौज होने के बाद भी हादसा हो जाने पर उसे मैनेज करने की पूरी कोशिश की गयी। दोपहर करीब दो बजे मासूम की मौत होने के बाद पुलिस को भी घंटों इसकी भनक नहीं लगने दी गयी।
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वहीं शाम को घटना की भनक लगने पर मीडियाकर्मी पार्क पहुंचे तो गेट नंबर एक, दो और चार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने घटना की जानकारी से ही इंकार कर दिया। पुलिस को भी हादसे के घंटों बाद पत्रकारों के ही जरिए घटना की जानकारी हो सकी। सीओ गोमतीनगर चक्रेश मिश्रा ने बताया कि घटना की सूचना देर से पुलिस को देने समेत अन्य बिन्दुओं पर मामले की जांच की जा रही है।
पहले भी झील में डूबने से हुई है मौत
बताते चलें कि जनेश्वर की झील पहले भी जानलेवा साबित हो चुकी है। विकासनगर निवासी सचिवालय में समीक्षा अधिकारी श्रीपाल का इकलौता बेटा शुभम नवंबर 2015 में झील में गिर गया था, जिसके बाद उसकी डूबने से मौत हो गयी थी। 22 वर्षीय शुभम नोएडा के देहरादून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से बीटेक कर रहा था। घटना के समय वो छुट्टी मनाने लखनऊ स्थित अपने घर आया था।
इस घटना के बाद झील की गहराई कम करने के लिए एलडीए ने लाखों रुपए बालू के नाम पर खर्च और झील में लाइफ जैकेट के साथ तैराकों को तैनात करने का दावा किया था। हालांकि आज की घटना ने एलडीए के खर्च और सुरक्षा के दावे की हकीकत सामने ला दी है।
हादसे के बाद जागा एलडीए उठाएगा ये कदम…
एलडीए सचिव एम सिंह ने घटना को बेहद दुखद बताते हुए कहा कि झील में तीन जगाहों पर रेलिंग नहीं लगी है। वहां रेलिंग लगाने की तैयारी शुरू कर दी गयी है, जब तक रेलिंग नहीं लगती तब तक उन जगाहों पर गार्ड हमेशा तैनात रहेंगें।
वहीं बार-बार जनेश्वर पार्क से आ रही गड़बड़ियों की शिकायत पर सचिव ने कहा कि पार्क में जल्द ही एक कंट्रोल रूम भी खुलवाया जाएगा। जहां सुबह छह बजे से रात आठ बजे तक दो शिफ्ट में एलडीए के कर्मचारी तैनात रहेंगे।
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इसके अलावा कंट्रोल रूम में एक रजिस्टर भी होगा, जिसमें लोग अपनी शिकायत और सुझाव लिख सकेंगे। साथ ही लैंडलाइन नंबर भी वहां लगाया जाएगा, उसपर भी जनता पार्क से बुकिंग समेत अन्य जानकारी हासिल कर सकेगी।