आरयू ब्यूरो
लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट जनेश्वर मिश्रा पार्क की जांच करने पहुंचे राज्य मंत्री आवास सुरेश पासी ने आज जमकर एलडीए के इंजीनियर और अधिकारियों को लताड़ा। करीब डेढ़ घंटे के अपने निरीक्षण के दौरान उन्होंने कई तीखे सवाल किए।
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निरीक्षण के बाद राज्य मंत्री ने दो टुक कहा कि पार्क दो से चार करोड़ में भी तैयार हो सकता था, लेकिन कमीशन के लिए एलडीए ने करीब चार सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए। उन्होंने इसमें शामिल एलडीए से लेकर शासन तक के अधिकारियों की भूमिका जांच कराने के साथ ही जल्द ही कार्रवाई की बात कही है।
इससे शर्मनाक क्या होगा देश के झंडे को भी नहीं बख्शा
पार्क में लगे राष्ट्रीय ध्वज का सुरेश पासी ने दाम पूछा जिस पर अधिशासी अभियंता एके सिंह ने बताया कि एक करोड़ 39 लाख में लगा है। झंडे का दाम करीब डेढ़ करोड़ सुनते ही उन्होंने फिर सवाल दागा कि सिर्फ एक झंडा ? जिस पर वीसी सत्येंद्र सिंह यादव ने मामला संभालते हुए कहा कि झंडे के साथ ही दूसरे काम भी इससे जुड़े कराए गए है। पूरे प्रॉजेक्ट के लिए एक करोड़ 39 लाख खर्च हुए है।
झंडे पर राज्य मंत्री ने कहा कि इससे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी कि इन्होंने देश के झंडे को भी नहीं छोड़ा। झंडा देखकर आम आदमी भी इसकी कीमत आसानी से बता सकता है।
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जो खुद चोर है, वह चोरी क्या रोकेगा
जनेशवर मिश्रा पार्क की पार्किंग से बाइक व कार चोरी के होने के सवाल पर राज्य मंत्री ने एलडीए के अफसर और इंजीनियर की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो खुद चोर हो वह चोरी होने से क्या रोकेगा। यह तो खुद ही गलत है।
आपके कितने रिश्तेदार यहां कर रहे ठेकेदारी
हर काम का रेट ज्यादा लगने के बाद राज्य मंत्री ने एक्सईएन अवधेश तिवारी से कहा सच-सच बताईये आपके कितने रिश्तेदार यहां ठेकेदारी कर रहे है, बचेगा कोई नहीं। मंत्री के सवाल से सकपकाए इंजीनियर ने कहा कोई नहीं।
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इसके बाद उन्होंने कहा कि क्या बसपा से कम्पटीशन कर रहे थे कि उनसे भी बड़ा पार्क बनाना है, उनसे बड़ा घोटाला करना था जो जनता की गढ़ी कमाई को ऐसे ही पानी की तरह बहा दिया। इतने पैसे में तो न जाने कितने गरीबों को छत मिल जाती। पहले वह जरूरी था या फिर ये इस पर क्यों ध्यान नहीं दिया।
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मंत्री के सवाल की बौछार के बाद वीसी समेत तमाम अधिकारियों ने उनसे दूरी बना ली। जिसके बाद पूरे निरीक्षण के दौरान मंत्री के तीखे सवाल अधिशासी अभियंता एके सिंह और एके तिवारी को शर्मिंदा करते रहे।
सोलह लाख की गंडोला और नौ लाख के पोल पर भी भड़के
गंडोला नाव देखने और कीमत जानने के बाद एक बार फिर राज्य मंत्री गुस्सा हो गए कहा क्या जरूरत थी विदेश से सोलह लाख की नाव मंगाने की। क्या हमारे यहां नाव नहीं बनती है, लेकिन इतना लंबा घोटाला नहीं कर पाते अगर यहां से मंगाते तो, क्योंकि यहां तो नाव 15-20 हजार में आ जाती। नौ लाख का हाईमास्क देख बोले कि यह कही से भी नौ लाख का नहीं लग रहा है। और फिर इसकी जरूरत क्या थी। गंडोला पर बैठने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म (जेटी) की कीमत 23 लाख जानने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई।
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इसके साथ ही पार्क में लगी एलसीडी, लकड़ी की बेंच, म्यूजिक सिस्टम समेत अन्य कई सामानों को भी उन्होंने फिजूल खर्ची और कमीशनखोरी का पर्याय बताया साथ ही झील की गहराई और उसकी बोरिंग जानने के बाद भी क्लास लगाई। कहा कि गोमतीनगर समेत लखनऊ का जलस्तर गिर रहा है, आपने किसके आदेश से एक दर्जन से ज्यादा बोरिंग करा दी। इस दौरान एक-एक सामान का दाम नोट करवाने के बाद राज्य मंत्री अपने साथ ले गए।
निरीक्षण के दौरान सचिव अरुण कुमार, चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा, चीफ इंजीनियर (विधुत यांत्रिक) डीपी सिंह, अधीक्षण अभियंता डीसी श्रीवास्तव समेत अन्य इंजीनियर भी मौजूद रहे।